furchur ( १८५ ) ३३२-रूप के अनुसार संयुक्त क्रियाएँ छः प्रकार की होती हैं- (१) क्रियार्थक संज्ञा के मेल से बनी हुई। . (२) वर्तमानकालिक कृदंत के मेल से बनी हुई । (३) भूतकालिक कृदंत के मेल से बनी हुई । (४) पूर्वकालिक कृदंत के मेल से बनी हुई। (५) संज्ञा या विशेषण के मेल से बनी हुई। (६) पुनरुक्त संयुक्त क्रियाएँ । ३३३-संयुक्त क्रियाओं में नीचे लिखी सहायक क्रियाएं आती हैं-आना, उठना, करना, चाहना, चुकना, जाना, देना, डालना, पढ़ना, पाना, बैठना, रहना, लगना, लेना, सकना, होना। (क) इनमें से बहुधा सकना और चुकना को छोड़ शेष क्रियाएं स्वतंत्र भी हैं और अर्थ के अनुसार दूसरी सहायक क्रियाओं से मिल- कर स्वयं संयुक्त क्रियाएँ हो सकती हैं। (१) क्रियार्थक संज्ञा के मेल से बनी हुई संयुक्त क्रियाएँ ३३४-क्रियार्थक संज्ञा के मेल से बनी हुई संयुक्त क्रिया में क्रियार्थक संज्ञा दो रूपों में आती है-(१) साधारण रूप में और (२) विकृत रूप में। ३३५-साधारण रूप के साथ “पड़ना", "होना", "चाहिए” क्रियाओं को जोड़ने से आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया बनती है; जैसे, करना पड़ता है, करना चाहिए।
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