( १८१ ) (५) संदिग्ध भूतकाल १-मैं देखा गया होऊँगा हम देखे गये होंगे • २- तू देखा गया होगा तुम देखे गये होगे ३-वह ,, वे देखे गये होंगे . (६) पूर्ण संकेतार्थकाल १-३–देखा गया होता देखे गये होते १-भाववाच्य - ३२८-भाववाच्य (अं० २६०) अकर्मक क्रिया का वह रूप है जो कर्मवाच्य के समान होता है। आवश्यक होने पर उसका कर्ता करण-कारक में आता है। भाववाच्य क्रिया सदैव अन्यपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन में रहती है; जैसे, हमसे चला न गया, रात भर किसी से जागा नहीं जाता।। ३२६-भाववाच्य क्रिया सदा भावेप्रयोग में आती है (अं०-३०५) और उसका प्रयोग अशक्यता के अर्थ में "न"- वा "नहीं" के साथ होता है। भाववाच्य क्रिया सब कालों और कृदंतों में नहीं आती। ३३०–यहाँ भाववाच्य के कंवल उन्हीं कालों के रूप लिखे जाते हैं जिनमें उसका प्रयोग होता है- (अकर्मक ) "चला जाना" क्रिया ( भाववाच्य) धातु......................................:चला जा.।। [ सूचना-इस क्रिया से और कृदंत नहीं बनते ।। ...
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