पुरुष ( १४६ ) पुल्लिंग एकवचन वहुवा उत्तम पुरुष मैं चलता हूँ हम चलते हैं मध्यम" तू चलता है तुम चलते होः अन्य " वह चलता है वे चलते हैं स्त्रीलिंग उत्तम पुरुष मैं चलती हूँ हम चलती हैं मध्यम" तू चलती है तुम चलती हो अन्य " वह चलती है वे चलती हैं ३००-आकारांत कालों में पुल्लिंग एकवचन का प्रत्यय आ, पुल्लिंग बहुवचन का प्रत्यय ए, स्त्रीलिंग एकवचन का प्रत्यय ई और स्त्रीलिंग बहुवचन का प्रत्यय ई है। इनमें पुरुष के कारण विकार नहीं होता। ३०१--संभाव्य-भविष्यत् और विधिकालों में लिंग के कारण काई रूपांतर नहीं होता। स्थितिदर्शक "होना". क्रिया के सामान्य वर्तमान के रूपों में भी लिंग का कोई विकार नहीं होता। ३०२-वाक्य में कर्ता वा कर्म के पुरुष, लिंग और वचन के अनुसार क्रिया का जो अन्वय वा अनन्वय होता है,. इसे प्रयोग कहते हैं। हिन्दी में तीन प्रयोग होते हैं-(१), कतरिप्रयाग, (२) कर्मणिप्रयोग (३) भावेप्रयोग।
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