( १३४ ) संबंध-कारक को छोड़, शेष कारकों के बहुवचन में दोनों का रूप अवि. कृत रहता है। २७०–निजवाचक “आप” की कारक-रचना केवल एकवचन में होती है; परंतु एकवचन के रूप बहुवचन संज्ञा या सर्वनाम के साथ भी आते हैं। इसका विकृत रूप “अपना" है जो संबंध-कारक में आता है और "अप" में संबंध-कारक की "ना" विभक्ति जोड़ने से बना है। इसके साथ “ने" विभक्ति नहीं आती। दूसरी विभक्तियों के योग से इसका रूप हिंदी आकारांत संज्ञाओं के समान __"अपने" हो जाता है। कर्ता और संबंध-कारक को छोड़ शेष कारकों में विकल्प से "आप" के साथ विभक्तियाँ जोड़ी जाती हैं। निजवाचक "आप" कारक एक० कर्ता प्राप कर्म-संप्रदान अपने को, आपको.. करण-अपादान अपने से, आपसे संबंध अपना-ने-नी अधिकरण - अपने में, आप में (अ) कभी कभी "अपना" और "आप" संबंध-कारक को . छोड़ शेष कारकों में मिलकर पाते हैं; जैसे, अपने-भाप, अपने-आपको, - अपने-आपसे, अपने-श्राप में।
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