( १२० ) (क) "लोग" शब्द के सिवा गण, जाति, जन, वर्ग श्रादि समूह- गाचक संस्कृत-शब्द भी बहुवचन के अर्थ में आते हैं। .. ... २५१-बहुधा जातिवाचक संज्ञाएँ ही बहुवचन में आती हैं; परंतु जब व्यक्तिवाचक और भाववाचक संज्ञाओं का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के समान होता है, तब उनका भी बहुवचन होता है; जैसे, "कहु रावण, रावण जग केते ।" "उठती बुरी हैं भावनाएँ हाय ! मम हृद्धाम में।" ___२५२-जब द्रव्यवाचक संज्ञाओं से किसी द्रव्य* की भिन्न भिन्न जातियाँ सूचित करने की आवश्यकता होती है, तब उन संज्ञाओं का प्रयोग बहुवचन में होता है; जैसे, "आजकल बाज़ार में कई तेल बिकते हैं।" "दोनों सोने चोखे हैं।" ___ २५३---कई एक शब्द ( बहुत्व की भावना के कारण ) बहुधा बहुवचन ही में आते हैं; जैसे, समाचार, प्राण, दाम, लोग, होश, हिज्जे। तीसरा अध्याय कारक २५४-संज्ञा (या सर्वनाम) के जिस रूप से उसका संबंध बाक्य के किसी दूसरे शब्द के साथ प्रकाशित होता है, उस रूपा
- जो वस्तु केवल ढेर में तौली या नापी जाती है।