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( ३७ ) दिशाओं में उन्होंने एक एक मठ स्थापित किया। सबसे मुख्य मठ दक्षिण में शृंगेरी स्थान में, पश्चिम में द्वारिका में, पूर्व की तरफ पुरी में और उत्तर की ओर बदरिकाश्रम में है। ये मठ अब तक चले आ रहे हैं। उनके प्रयत्नों से बौद्धों का बहुत ह्रास हुआ। ३२ वर्ष की अवस्था में ही शंकराचार्य का वदरिकाश्रम में देहांत हुआ। इतनी छोटी अवस्था में भी उन्होंने इतना बड़ा कार्य कर दिखाया कि हिंदुओं ने उनको जगद्गुरु की उपाधि देकर सम्मानित किया | धानिक स्थिति का सिहावलोकन