पृष्ठ:मध्यकालीन भारतीय संस्कृति.djvu/२७१

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पति ६५ साया101 (२०४) पशुपपियों का सागः ५२ निदेव की २५ शक्ति की २७ पशुचिकित्सा-१२२ (पेना शिविरमा) गुगनी २ सूर्गमूर्तियों की -~~पर लिखे भाकीनामावली मगों द्वारा, ३०दकी मानि १२२,-संबंधी संस्कृत भी गपत में २६ मकंद गा का फारसी में शनुवाद १२३ कामिगही २६ पशुविज्ञान १२३ पूर्वमीमांगा-३,100-की यु- पशुहिंसा की पुष्टि, गुमारिल द्वारा पृथ्वी के गोट होने का प्रतिपादन पांच १३ 102 पाणिनि ६६; द्वारा नैगाषिक शब्द पेशाम्-गान के समय गमा विशेष ५३ की व्युत्पति ८७: शादर पयागोरस-दर्शनाप्ययनार्य भारत भाव, नहानाध्यकार का ७४ द्वारा संस्कृत का नियमों में प्रजातंत्र राज्य (गणराज्य) १५१ जकड़ा जाना ७४; व्याकरण प्राम-ज्योतिर्विद १०३ पर चार्तिक तथा महाभाप्प प्रयोधचंद्रोदय-~-गमा मिश्र का २२ ८५-द्वारा शिलाली शोर शा. प्रमाण-जार प्रकार के श्व के नटसूत्रों का उल्लेग का प्रमगया में बारह ८८ पारा-अलवेख्नी का उल्लेख १६ प्रस्थानत्रयी-(वेदांत सूत्र, उपनिषद, पाश्चाभ्युदय काव्य-में मेघद्त का गीता)६५ समाविष्ट होना ७७; जिनसेग प्राकृत-चोल चाल की भापा ७४; -के कोष १३६-के व्या- पिरोह-दर्शन शध्ययनार्थ भारत फरण १३८-के भेद १३५; पुरानी-१३४ प्रचलित- पुनर्जन्म अशोक की धर्माज्ञाएँ १३४;- पुनर्विवाह-पर पराशर का मत ६८; लेखकों के नाम: कर्पूरमंजरी में -~-पर अलबेरुनी का मत ६८ १३६;-साहित्य १३४ पुराण-पठारह २६:-का प्रचार३३ प्लिनी-भारतीय काल पर १६६% पुप्यमित्र ८ भारत के रनों पर १७३ पूजा-गणपति की २६, गणेश की फ्लीट २४ २८; गणेश |विका की २८, व यह नौशेरों का समकालीन, कृत ७७ याया१०१