पृष्ठ:मध्यकालीन भारतीय संस्कृति.djvu/२४६

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( १७६) होना असंभव सा है। इन स्तंभों के अपर सुंदर शार्गकर्मचारी सिरे लगे हुए थे, जिनके जन भान पर कहीं एक शेर और कड़ी चार शेर आदि बने हुए थे। ऐसे दो तीन सिरे अब तक विममाल हैं, जो उस समय की उन्नत कला कलानी प है। लोक में पीछे बेसनगर का प्रसिद्ध स्तंभ, महरेराही ( दिल्ली ले १३ माद ) वाला प्रसिद्ध लोह स्तंभ और दूसरे कई एक संबई, जो हमारे निक काल के पूर्व के हैं। हमारे समय के संभों में राजा वगायन मंदसोर के निकटवर्ती सौदनी गाँववाले दो विशालतम है, जो उन राजा की विजय के स्मारक है। चं विशाल नंग एक पायर से नहीं काटे गए, किंतु अलग नग विभागों में बने एक दूसरे पर जमा दिए गए हैं। इस समय वे नीम पना- शायी हो रहे हैं। यशोधर्म के भी निक स्थानों पर कई मंदिरों के आगे ब किए लगे हुए भिन्न भिन्न शैली के हजारों सा :: जिनकी कारीगरी का अनुमान उन्हें कम बड़ी बड़ी मूर्तियों के होने का नाम :: 'अर्थशास्त्र में मिलता है, परंतु उपलक्ष्य नि

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