पृष्ठ:मध्यकालीन भारतीय संस्कृति.djvu/१५२

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(१०१ ) रखता। फिर भी इसके अत्यंत आवश्यक होने से यहाँ इसका निर्देश मात्र कर देना अनुचित न होगा। प्राच्य दर्शन शास्त्र का प्रोक ( यूनानी ) दर्शन पर बहुत प्रभाव पड़ा है। दोनों के बहुत से विचारों में समानता पाई जाती है। जेनोफिनस और परमै निडस के सिद्धांतों तथा वेदांत में बहुत कुछ साम्य है* । सुकरात और प्लैटो की आत्मा के अमरत्व का सिद्धांत प्राच्य दर्शन का ही सिद्धांत है। सांख्य का ग्रीक दर्शन पर प्रभाव स्पष्ट और बहुत संभव है। ऐसा भी माना जाता है कि प्रसिद्ध ग्रीक विज्ञान पैथागोरस तो भारतवर्ष में दर्शन पढ़ने के लिये आया था। वही नहीं, अनेक्सर्चिस, पिरोह और अन्य कतिपय ग्रीक विद्वान् भी भारतीय दर्शन का अध्ययन करने के लिये यहाँ आए थे। पैथा- गोरस ही पुनर्जन्म का सिद्धांत सीखकर ग्रीस में उसका प्रवर्तक हुआ। ग्रीस में प्रचलित प्राचीन कथाओं के अनुसार चेल्स, एंपि- डोक्लिस, डिमॉक्रिटस आदि विद्वानों ने दर्शन पढ़ने के लिये पूर्व की यात्रा की थी। नॉस्टिक ( Gnostic ) मत पर भी सांख्य का प्रभाव पर्याप्त रूप से पड़ा। अंत हम प्राच्य दर्शन के विपय में कुछ विद्वानों के कतिपय उद्धरण देकर इस विषय को समाप्त करते हैं। श्लंगल ने लिखा है कि युरोप का उच्च से उच्च दर्शन, तीय दर्शन के दोपहर के प्रकाशमान सूर्य के सामने एक छोटे से टिमटिमाते हुए दीपक के समान है। भार- -

  • ए० ए० मैक्डानल; इंडियाज पास्ट, पृ० १५६ ।

+ डाक्टर एनफील्ड; हिस्ट्री श्राफ फिलासफी; जि० १, पृ० ६५ । + प्रो० मैक्डानल; संस्कृत लिटरेचर; पृ० ४२२ । ६ वही; पृ० ४२३ । || हिस्ट्री श्राफ़ लिटरेचर । -