पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/२५८

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२५४ मतिराम-ग्रन्थावली Samanupatination mammemetermireme SANTONSIONS So s iminary- weremi-ener were pecipes c idicucisalanation- उदाहरण कुंदन कौ रँगु फीको' लगै, झलकै अतिरे अंगन चारु गुराई; आँखिन मैं अलसानि, चितौन में मंजु बिलासन की सरसाई । को बिन मोल बिकात नहीं, 'मतिराम' लहै मुसकानि-मिठाई; ज्यों-ज्यों निहारिए नेरे ह नैननि, त्यों-त्यों खरी निकरै-सी निकाई ॥ ६ ॥ जाल -रंध्र-मग ह कदै, तिय-तनु दीपति-पुंज । झिझिया-कैसो घट भयो, दिन ही मैं बन कुंज ॥७॥ तरुनि-अरुन एंडीन की, किरिन-समूह-उदोत । बैनी मंडन-मुकुत के, पुंज गुंज-दुति होत ॥८॥ नायिका-भेद कही नायिका तीन बिधि, प्रथम स्वकीया मान । परकीया पुनि दूसरी, गनिका तीजी जान" ॥९॥ स्वकीया-लक्षण लाजवती, निसदिन पगी निज पति के अनुराग । कहत स्वकीया सीलमय, ताको पति बड़ भाग ॥१०॥ उदाहरण संचि बिरंचि निकाई मनोहर, लाजति१ मूरतिवंत बनाई; तापर तो परभाग बड़े, 'मतिराम' लसै पति प्रीति सुहाई। mentatunaina merama SICAL १ नीको, २ असि, ऐसे, इमि, ३ की, ४ अलिसौनि, ५ लस, ६ नीरे के नैननि, ७ छिद्रजाल, ८ रुचि, ९ प्रथमहि स्वकीया जान, १० मानि, ११ लाजतें। _ छं० नं० ६ कुंदन तपाया सोना । छं० नं० ७ जाल-रंध्रजाली के छिद्र । झिझिया-घट =बहुत-से छेदों वाला घंट । छं० नं० ८ मंडन =शृंगार । गुंज=गुंजा, धुंधुची। मुकुत=मुक्ता, मोती। छं० नं० ११ संचि=संचित करके । लाजतिलजाती । पतिदेवत=पतिव्रत ।