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सुकवि-माधुरी-माला : २रा पुष्प


मतिराम-
ग्रंथावली

संपादक

पं॰ कृष्णविहारी मिश्र

"ज्यों-ज्यों निहारिय नेरे कै नैनन ,
त्यों-त्यों खरी निकरै-सी निकाई।"



गंगा पुस्तकमाला कार्यालय, लखनऊ