[ ७६ ] 'दिया सपूत कुल को दिया" (शि० भू० नं. १०) कहा है। नौकरी के विपय में केवल इतना इशारा है कि "शाहि निजाम सखा भयो"। ___ इनके नायक छत्रसाल थे, तथापि इन्होंने उनके पिता चंप. तिराय पर एक भी छंद न बनाया, क्योंकि वे धौलपुर में औरंग- जेब की ओर से लड़े थे जो हिंदुओं का घोर शत्रु था। उसी युद्ध में छत्रसाल हाड़ा यद्यपि चंपति के प्रतिकूल लड़े थे, तो भी इन्होंने चंपति की प्रशंसा न करके छत्रसाल हाड़ा की प्रशंसा की; क्योंकि वे महाराज हिंदुओं के शत्रु (औरंगजेब ) के प्रति- कूल लड़े थे । वास्तव में भूपण की कविता के नायक हिंदू हैं। जो मनुष्य हिंदुओं के पक्ष में लड़ता था, उसी का भूपण ने वर्णन किया है, चाहे वह शिवराज हो या छत्रसाल या रावबुद्ध या अवधूतसिंह या शंभाजी या साहूजी। इनको जातीयता का ऐसा ध्यान था कि इन्होंने शिवाजी के हिंदू शत्रु उदयभानु आदि तक का प्रभावपूरित वर्णन किया है, यद्यपि वह मुसलमान हो चुका था। परिणाम इन महाशय की कविता में कोई कहने योग्य दोप नहीं है। भाषा कवियों में इनका स्थान बहुत ऊँचा है और इनकी भांति सम्मान कविता से किसी का नहीं हुआ । वास्तव में युद्धकाव्य करने में इन्होंने बड़ी ही कृतकार्य्यता पाई है। युद्ध का ऐसा उत्तम वर्णन किसी कवि ने नहीं किया।
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