पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/८

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चतुर्थ संस्करण का वक्तव्य

महाकवि भूषण की रचना पर हम लोग बहुत काल से मनन और परिश्रम करते आए हैं । भूषण ग्रन्थावली का प्रथम संस्करण प्रायः वीस वर्ष हुए, प्रकाशित हुआ था। इसके प्रायः ५ वर्ष पूर्व से हम लोग इस विषय पर परिश्रम करते आये थे। समय के साथ नवीन घटनाओं तथा ऐतिहासिक विषयों का ज्ञान प्राप्त होने से इस कविरत्न के सम्बन्ध में दिनों दिन विचार परिष्कृत होते गए । इन्हीं के अनुसार दूसरी तथा तोसरी आवृत्तियों में नवीन मतानुसार संशोधन होते गए। इन दिनों भाषासाहित्य- प्रेमियों ने इस प्राचीन विषय पर खण्डनात्मक तथा मण्डनात्मक दोनों प्रकार के लेख कुछ प्रचुरता से लिखे। केळूसकर तथा तकाखौ नामक दो महाराष्ट्र लेखकों ने शिवाजी महाराज की चहुत ही श्रेष्ठ जीवनी लिखी। सरकार महोदय का इसी विषय पर जो ग्रन्थरत्न है, उसके भी अधिक अवलोकन की आवश्यकता हुई। प्रायः इन २५ वर्षों में समाज को महाराज शिवाजी सम्बन्धी ऐतिहासिक ज्ञानवृद्धि बहुत अच्छी हुई। इन्हीं सव कारणों से हमें भी शिवाजी सम्बन्धी इतिहास पर विशेष ध्यान देना पड़ा। केलूसकर तथा तकास्त्रौ महाशयों का ग्रन्थ इतना रोचक है कि निष्कारण भी उसे दो बार पढ़े बिना चित्त प्रसन्न न हुआ । इन सब खोजों का फल इस चौथे संस्करण में रक्खा गया