पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/७७

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[ ६८ ] ऐसे हैं कि जिनमें विश्रामों पर ध्यान न देने से अर्थ में गड़बड़ पड़ सकती है। उदाहरण, शिवराजभूपण छंद नंबर १, ३, ४०, ४८, ८१. १०७, २४७, ३०९, ३६६, ३८१ इत्यादि । कुल बातों पर ध्यान देने से विदित होता है कि भूपण की भाषा तथा शब्दयोजना की रीति बहुत ही प्रशंसनीय है। - भूपण महाराज ने विपय और विशेपतया नायक चुनने में बड़ी बुद्धिमत्ता से काम लिया है। शिवाजी और छत्रसाल से महानुभावों के पवित्र चरित्रों का वर्णन करनेवाले की जहाँ तक प्रशंसा की जाय, थोड़ी है। शिवाजी ने एक ज़िमींदार और बीजापुराधीश के नौकर के पुत्र होकर चक्रवर्ती राज्य स्थापित करने की इच्छा को पूर्ण सा कर दिखाया और छत्रसाल बुंदेला ने जिस समय मुग़लों का सामना करने का साहस किया था, उस समय उनके पास केवल पाँच सवार और पञ्चीस पैदल थे। इसी "सेना" से इस महानुभाव ने दिल्ली का सामना करने की हिम्मत की और मरते समय अपने उत्तराधिकारियों के लिये दो करोड़ वार्षिक मुनाफे का स्वतंत्र राज्य छोड़ा। भूषण महाराज अन्य कवियों की भाँति ऐसे छंद कम बनाते थे जो केवल नायक का नाम बदल देने से किसी की प्रशंसा के हो सकते हों। इनकी कविता में सहस्रों घटनाओं का समावेश है। हर स्थान पर इन्होंने कितने ही ऐतिहासिक व्यक्तियों और स्थानों का वर्णन छंदों में किया है। इतने लोगों के नाम काव्य में ये महाशय लाए हैं कि कितने ही के विषय में अनेक भारी भारी