पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/५४

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सेना के साथ अब्दुस्समद को भेजा, परंतु छत्रसालने वेतवे नदी के किनारे उसे भी पराजित किया। तब बहलोलस्ताँ गवर्नर और जगतसिंह ने छत्रसाल पर धावा किया, परंतु जगतसिंह मारा गया और बहलोल को भागना पड़ा। बहलोल ने मारे लज्जा के आत्मघात कर लिया। तदनंतर छत्रसाल ने मुरादरखाँ को हराया और दलेलरत्नों को भी पराजित किया। पीछे आपने मटौंध को घेर कर जीत लिया। फिर सैयद अफ़ग़न के आधिपत्य में एक महती सेना आई। इससे एक वार छत्रसाल हार गया, परंतु पुनः सेना एकत्र करके बुंदेलराज ने इसे भी पराजित किया। तव शाहकुली इससे लड़ने को भेजा गया, परंतु वह भी हारा। अब छत्रसाल यमुना और चंबल के दक्षिण ओर के सारे देश का स्वामी बन गया । ___ सन १७०७ ई० में वहादुर शाह ने इन्हें बुलाकर उस इलाके का स्वामी होना स्वीकार किया। तब इन्होंने बादशाह को लोह- गढ़ जीत दिया। सन् १७२२ ई० में फर्रुखाबाद का गवर्नर मुहम्मदरखाँ बंगश छत्रसाल से लड़कर सारा देश उजाड़ने लगा। उसने चित्रकूट के पास से युद्वारम्भ किया। महाराज छत्रसाल रीवाँ का बहुत राज्य छीन चुके थे। इसी से रीवॉनरेश महाराज अवधूतसिंह ने भी इस समय बंगश का साथ दिया। इस कुदशा में छत्रसाल ने 8 इसकी वार्षिक निकासी प्रायः टेढ़ दो करोद मुद्रा थी।