पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/४५

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[ ३६ ] नामक महाराजा हुआ। बहुत वर्ष मुग़लों से लड़कर अजीत ने अपना राज्य फिर पाया था। इसी कारण राठौर लोग महाराणा के साथ मिल कर मुग़लों से लड़े थे। राठौरों का यह युद्ध सन् १७१० ई० तक चलता रहा था। ___ जब क्षत्रियों ने शाहजादा अकबर को छोड़ दिया, तव अपने पिता से सिवा प्राणदण्ड के और किसी वात की आशा न होने के कारण वह फिर राठौरों की शरण में गया। इस पर दुर्गादास वालक अजीत को अपने भाई के साथ छोड़ अकवर को लेकर . दक्षिण चला गया। अकबर के दक्षिण निकल जाने से औरंगजेब को वड़ा भय हुआ और उसने महाराज राजसिंह से संधि करके दक्षिण जाने का दृढ़ संकल्प कर लिया । अतः वह अपने दल का मुख्यांश लेकर दक्षिण चला गया और इधर छत्रसाल बुंदेला से लड़ने को तहौवर खाँ को आज्ञा देता गया। अकवर औरंगजेब के दक्षिण जाने से फारस भाग गया ।तब औरंगजेब ने वीजापुर और गोलकुंडा पर चढ़ाई करके दो साल के युद्ध में सन् १६८८ ई० में उन्हें स्ववश कर लिया । सन् १६८९ में उसने मरहठों पर धावा करके शिवाजी के पुत्र शंभाजी को भी बंदी कर बड़ी निर्दयता से मरवा डाला । शंभाजी के पुत्र साहूजी को भी शाह ने पकड़ लिया था; परंतु उसके एक छोटा बच्चा होने के कारण वध न करके उसे अपने यहाँ के एक महाराष्ट्र ब्राह्मण के सिपुर्द कर दिया ।साहूजी का भी नाम शिवाजी था, परंतु औरंगजेब ही ने उसका नाम “साहु" यह कहकर रक्खा कि इस बच्चे के पिता और पितामह चोर थे,