पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२४३

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[ १५२ ] 'पुर वीरन के, गोलकुंडा धीरन के, दिल्ली उर मीरन के दाडिम से दरके ॥ ४५ ॥ मालवा उजैन भनि भूपन भेलास ऐन सहर सिरोज' लौं परावने परत हैं। गोंडवानो तिलगानो फिरगानो" करनाट रुहिलानो रुहिलन हिये हहरत हैं ॥ साहि के सपूत सिवराज तेरी धाक सुनी गढ़पति वीर तेऊ धीर न धरत हैं। बीजापुर, गोलकुंडा, आगरा, दिली के कोट वाजे बाजे रोज दरवाजे उघरत हैं ।। ४६ ॥ मारि करि पातसाही खाकसाही कीन्हीं जिन जेर कीन्हों जोर सों लै हह सव मारे की। खिसि गई सेखी फिसि गई सूरताई सब हिसि गई हिम्मति हजारों लोग सारे की ।। वाजत दमामे लाखौं धौंसा आगे घहरात गरजत मेघ ज्यों बरात १ पूर्णोपमा । २ भेलता, इसमें बहुत से प्राचीन बौद्ध स्तूप है। यह ग्वालियर राज्य में है। ३ शोराज हो सकता है-सिरोज नामक एक शहर बुंदेलखंड के समीप भी था। सिरोज सागर के भी पास है। ४ वर्तमान समय का बहुत सा मध्य प्रदेश उस समय गोंडवाना कहलाता था क्योंकि वहाँ विशेषतया गोंड़ रहते थे । ५ बावर के पिता का राज्य । ६ करनाटक। ७ भूमिका देखिए । रुहेलखंड । किसी किसी प्रति में "हिंदुवानो हिंदुन के हिर हहरत हैं। यह भी पाठ है जो अशुद्ध समझ पड़ता है।