पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२१७

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[ १२६ ] उदाहरण-कवित्त मनहरण पूनावारी सुनि कै अमीरन की गति लई भागिवे को मीरन समोरन की गति है । माखो जुरि जंग जसवंत जसवंत जाके संग केते रजपूत रजपूत पति" है ॥ भूपन भनै यों कुलभूपन भुसिल सिवराज ! तोहि दीन्ही सिव राज बरकति है । नौहू खंड दीप भूप भूतल के दीप आजु समै के दिलीप दिलीपति को सिदति है ।। ३६४ ॥ पुनरुक्ति वदाभास लक्षण-दोहा भासति है पुनरुक्ति सी नहिं निदान पुनरुक्ति । वदाभास-पुनरुक्ति सो भूपन बरनत युक्ति ॥ ३६५ ।। १ शाइस्ता खाँ का इशारा है। २ नतवंत सिंह (छंद नं० ३५ का नोट) जसवंत में यमकानुप्रास है। ३ यशवाला; यशी । ४ राजपूत। ५ राजपूतों का स्वामी । राजपूत पति जसवन्त जसवन्त माखो है, नाके संग केते राजपूत (थे)। ६ द्वीप सात है। ७ चिराग। ८ रघु के पिता राजा दिलीप । १ सोदति, कष्ट देती है।