पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२०

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गहोरा पर फिर न हुआ। गहोरा के सोलंकियों को सुरकी कहते थे । अब जिला वाँदा में प्रायः एक सहस्र सुरकी ठाकुर हैं।

यहाँ से भूपणजी महाराज शिवाजी के दरबार में गए। यह वह समय था जव शिवाजी दक्षिण के अनेक दुर्ग जीत कर राय- गढ़ में राजधानी नियत कर चुके थे (शि० भू० छंद १४ देखिए) अर्थात् सन् १६६२ ईसवी के पश्चात् । इस समय भूपणजी २७ वर्ष के थे। इससे जान पड़ता है कि इधर उधर बहुत न रहकर आप शिवाजी के यहाँ गए थे। अनुमान होता है कि भूपणजी महाराज शिवाजी के यहाँ उस समय के कुछ ही पीछे पहुंचे थे, जब वे आगरे से निकल आए थे और छत्रसाल बुंदेला से मिल चुके थे अर्थात् सन् १६६७ ईसवी के अंत में। निम्नलिखित. विचारों से इस अनुमान की पुष्टि होती है-

(१) शिवाजी के यहाँ पहुँचने पर भूपणजी उनका वर्तमान निवासस्थान रायगढ़ बतलाते हैं और सिवाय उसके और कहीं शिवाजी का रहना नहीं लिखते । शिवाजी सन् १६६२ ईसवी में रायगढ़ आए थे, अतः भूपणजी उनके दरवार में सन् १६६२ के पश्चात् पहुँचे होंगे (शि० भू० छंद १४ व १६)। ।

(२) शिवाजी सन १६६६ में आगरे गए थे और वहाँ से लौटकर घर तक पहुँचने में उन्हें नौ मास लगे थे। अतः यदि इस समय के पहले भूपणजी शिवाजी के यहाँ पहुँचे होते, तो इन नौ मासों के बीच में हतोत्साह होकर वे घर लौट आते । उन्होंने सन् १६७३. ईसवी में शिवराजभूपण समाप्त किया,