[ १०७ ] . प्रथम भेद-उदाहरण-मालती सवैया लोगन सो भनि भूपन यों कहै खान' खवास कहा सिख देहौ । आवत देसन लेत सिवा सरजै मिलिहौ भिरिही कि भगैहौ।। एदिल की सभा बोलि उठी यों सलाह करोऽत्र कहाँ भजि जैहो । लीन्हो कहा लरिकै अफजल्ल कहा लरिके तुमहूँ अब लैहो ? ॥३१२।। दूसरा भेद-उदाहरण-दोहा को दाता को रन चढ़ो को जग पालनहार ? । कवि भूपन उत्तर दियो सिव नृप हरि अवतार ॥ ३१३ ।। व्याजोक्ति लक्षण-दोहा आन हेतु सों आपनो जहाँ छिपावै रूप। व्याज-उकुति तासों कहत भूपन सुकवि अनूप ।। ३१४ ।। ____ उदाहरण-मालती सवैया साहिन के उमराव जितेक सिवा सरजा सव लूटि लए हैं। भूपन ते विन दौलति है कै फकीर है देश बिदेश गए हैं । लोग कहें इमि दच्छिन' जेय सिसौदिया रावरे हाल ठए हैं ?। देत रिसाय के उत्तर यों हमहीं दुनियाँ ते उदास भए हैं। ॥ ३१५ ॥ छंद नं० २०६ का नोट देखिए । २ दक्षिण का जीतनेवाला सिसोदिया अर्थात् शिवाजी। ३ इन दो पदों का पाठांतर यों है-"जति राखि सकें अपनी इमि स्थानपनो
- यहाँ अपना आकार दूसरा हेतु कहकर छिपाया जाता है। छेकापन्हुति में उक्ति
मात्र छिपाई जाती है और व्याजोत्ति में आकार ।