कै ? ।। हिंदुन के' पति सों न विसाति सतावत हिंदु गरीबन पाय के। लीजै कलंक न दिल्लि के वालम आलम आलमगीर' कहाय के ।। २५८ ॥ पुन:-कवित्त मनहरण गौर3 गरबीले अरवीले राठवर गह्यो लोह५ गढ़ सिंह- गढ़ हिम्मति हरपते । कोट के कँगूरन में गोलंदाज तीरंदाज राखे हैं लगाय, गोली तीरन बरपते ।। के के सावधान किरवान कसि कम्मरन सुभट अमान चहुँ ओरन करपते। भूपन भनत तहाँ सरजा सिवा ते चढ़ो राति के सहारे ते अराति अमरप ते ।। २५९ ॥ भरमरा कर ढेर हो गया। आश्चर्य है कि औरंगजेब जैसे राज नोतिश शासक ने ऐसी उत्कट भूलें की अस्तु । सन् १६६९ ई० को घटना है। वीभत्स रस । १ मेवाड़ ( उदयपुर ) के राणा "हिंदूपति' कहलाते हैं। शिवाजो को उसी वंश. के होने से भूपणनी ने इस नाम से पुकारा । २ औरंगजेब का यह भी नाम था जिसका अर्थ है संसार भर पर अधिकार कर लेनेवाला। ३ छं. नं० १३४ का नोट देखिए । ४ जोधपुर के राजा । यहाँ उदयमानु राठौर (छं० नं० १०० देखिए )। ५सिंहगढ़ (छ. नं० १०० देखिए ) के गढ़ अर्थात् किले में लोड अर्थात: तलवार गहो। ६ शत्रु पर क्रोध करके।
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