पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१७५

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[ ८४ ] पर्याय लक्षण-दोहा एक अनेकन में रहै एकहि में कि अनेक । ताहि कहत परयाय हैं भूपण सुकवि विवेक ॥ २४० ॥ अनेकों में एक-उदाहरण-दोहा ___ जीति रही अवरंग मैं सवै छत्रपति छाड़ि। तजि ताहू को अब रही शिवसरजा कर मॉडि ।।२४१।। पुनः कवित्त मनहरण कोट गढ़ दै कै माल मुलुक मैं वीजापुरी गोलकुंडा वारो पीछे ही को सरकतु है। भूषन भनत भौसिला भुवाल भुजबल रेवा ही' के पार अवरंगहरकतु है । पेसकसैं भेजत इरान फिरगान पात उनहूँ के उर याकी धाक धरकतु है। साहितनै सलहेरि पर हारे हुए दिल्ली के सरदारों का है । इखलासखा ऐसा सरदार था । बहलोल खाँ बोजापूर का सरदार था और सलहेरि में लड़ा भी न था। १ नर्मदा नदी के उत्तर ओर हो। २ पेशकश, नज़र, खिराज। ३ ईरान, फ़ारस। ४ योरपवाले जैसे अंगरेज, पोर्चुगीज़ इत्यादि। ये युरोपियन सौदागर शिवाजी की लूट से बचने के लिये उन्हें वार्षिक कर भेजते थे। यह वात सन् १६६२ से प्रारम्भ हुई, जिस सन् में शिवाजी ने पुर्तगालवालों की ६००० सेना काट डाली थी। बावर के पिता का राज्य भी फिरंगाना कहलाता था।