पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१६२

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[ ७१ ] भीनो । याँते गयो चकते सुख देन को गोसलखाने गयो दुख दीनो। जाय दिली दरगाह सुसाह को भूपन बैरि बनाय हो लोनो ।। २०४॥ विपम लक्षण-दोहा कहाँ बात यह कह वहै, यो जहँ करत बखान । तहाँ विपम भूपन कहत, भूपन सुकवि सुजान ||२०५।। उदाहरण-मालती सवैया जावलि बार सिंगारपुरी औ जवारि" को राम के नैरि को गाजी । भूपन भौसिला भूपति ते सत्र दूरि किए करि कीरति १ चकत्ता अर्थात् चगताईखों के वंशज औरंगजेय को । २ गुरलखाने की घटना भूमिका में देखिए । ३ चंद्रराव मोरे जावली का राजा था। उसे जीतकर शिवाजी ने सन् १६५५ ६० में राज्य छीन लिया। इसी स्थान पर शिवाजी ने सन् १६५९ में माजलयों को मारा ( १८० नं०६३ नोट देखिए.)। ४ कोंकण देश में सतारा शहर के पश्चिम दक्षिण सिंगारपुर है। इसे १६६१ ६० में शिवाजी ने अपने अधिकृत किया। ५ रायर के निकट एक छोटा सा स्थान है। इसे जयपुर ( राजपूताने वाला नही) मी कहते हैं। शायद यह जोहर हो जिसे शिवाजो ने १६७८ में जीता। ६५ नं० १७३ का नोट देखिए । .