पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१५६

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[ ६५ ] उदाहरण-मालती सवैया दच्छिननायक' एक तुम्ही, गुव भामिनि को अनुकूल के भाव । दीनदयाल न तो सो दुनी पर ग्लेच्छ के दीनहिं मारि मिटाये । श्री सिवराज भने कवि भूपन तेरे सरूप को कोउ न 'पावै। तृर सुवंस मैं सूरसिरोमनि करि तृ. कुलचंद कहावे ।। १८४॥ विभावना (पहिली विभावना ) लक्षण - दोहा भयो काज बिन हेतुही, वरनतह जेहि ठौर । तइँ विभावना होति है, कवि भूपन सिरमौर ।। १८५ ॥ उदाहरण-मालती सवैया बीर बड़े बड़े मीर पठान खरो रजपूतन को गन भारो। भूपन जाय तहाँ सिवराज लियो हरि औरंगजेब को गारों ।। दीन्हो कुवाव दिलीपति को अरु कीन्हों वजीरन को मुँह कारो। नायो न माथहि दक्खिननाथ न साथ में फौज न हाथ हथ्यारो॥.१८६ ।। १ वह पति जिसके कार रियाँ हों और जो सब से वरावर प्रेम रखता हो। अथवा दक्षिण देश का राजा । २ वह पति जो एक खो गती हो अथना गुमाझिक। . ३ गर्य, अभिमान ।