पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१४१

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[ ५० ] प्रतिवस्तूपमा लक्षण-दोहा . . वाक्यन को जुग होत जहँ एकै अरथ समान । जुदो जुदो करि भापिए प्रति वस्तूपम जान ॥ १३५ ॥ उदाहरण-लीलावती छंद -मद जल धरन द्विरद बल राजत, बहु जल धरन जलद छवि साजै। पुहुमि धरन फनि नाथ लसत अति, तेज धरन ग्रीषम रबि छाजै ॥ खरग धरन सोभा तहँ राजत, रुचि भूषन गुन धरन समाजै। दिल्लि दलन दक्खिन दिसि थंभन, ऐंडर धरन सिवराज विराजै ॥ १३६ ।। दृष्टांत लक्षण-दोहा जुग वाक्यन को अरथ जहँ प्रतिबिंबित सो होत । तहाँ कहत, दृष्टांत हैं भूषन सुमति उदोत ॥ १३७ ।।

  • इस में दो वाक्यों को गति एक सी होती है तथा दोनों के भिन्न धर्मों या.

क्रियाओं का अर्थ एक ही होता है । ये उपमान और उपमेय मूलक भी होते हैं। इसके वाक्य स्वतन्त्र होते हैं तथा आगे आने वाले निदर्शना के अस्वतन्त्र । १ इसका लक्षण यह है-"लघुगुरु को नहँ नेम नहिं वत्तिस कल सव नान । तरल तुरंगम चाल सोलोलावती बखान ॥" २ "ऐंड एक सिवरान निवाही । कर आपने चित्त कि चाही। आठ पातसाही झकझोरै । सूवन पकरि दण्ड लै छोरे ॥' (छत्रप्रकाश )। + प्रतिवस्तूपमा और दृष्टान्त में उपमेय वाक्य और उपमान वाक्य में विंबप्रतिबिंद