पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१३७

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[ ४६ ] सामान्य विशेष लक्षण-दोहा कहिवे जहँ सामान्य है कहै जु तहाँ विशेष । सो सामान्य विशेष है वरनत सुकवि अशेप ॥१२॥ उदाहरण-दोहा और नृपति भूपन कहें करें न सुगमौ काज । . साहि तनै सिव सुजस तो करै कठिनऊ आज ॥१२२।। पुन:-मालती सवैया जीति लई वसुधा सिगरी घमसान घमंड कै वीरन हू की। भूपन भौंसिला छीनि लई जगती उमराव अमीरन हू की । साहि- तनै सिवराज कि धाकनि छूटि गई धृति धीरन हू की। मीरन के उर पीर बढ़ी यों जु भूलि गई सुधि पीरन हू की ।।१२३।। तुल्ययोगिता . लक्षण-दोहा तुल्यजोगिता तहँ धरम जहँ वरन्यन' को एक । कहूँ अवरन्यनको कहत भूपन बरनि विवेक ।।१२४॥ __वर्यों का साधर्म्य-उदाहरण-मनहरण दंडक' चढ़त तुरंगचतुरंगसाजि सिवराज चढ़त प्रताप दिन दिन अति

  • 'राम रघुवंशी थे' में राम विशेप हैं तथा रघुवंशी सामान्य, क्योंकि वहुतेरे लोग

रघुवंशी हो सकते थे। १ उपमेयों का। २ उपमानों का। ३ उदाहरण नं० १२५ में आवृत्ति दीपक अलंकार भी आता है।