पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१०५

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[ १४ ] सबै दल सो दल भायो | ताहि विगोय सिवा सरजा भनि भूपन औनि छता यों पछाखो। पारथ के पुत्पारथ भारथ जैसे जगाय जयद्रथ माखो ।। ३५॥ लुप्तोपमा लक्षण-दोहा उपमा वाचक पद, धरम, उपमेयो, उपमान । जामें सो पूर्णोपमा लुन घटत लो मान ॥३६ ।। उदाहरण-(धर्मलुमा )-मालती सवैया पावक तुल्य अमीतन को भयो, मीतन को भयो वाम सुधा को । आनँद भो गहिरो समुदै कुमुदावलि तारन को बहुधा को ।। भूतल माहिं बली सिवराज भो भूपन भाखत शत्रु सुधा को। वंदनं तेज त्यों चंदन कीरति साधे सिंगार वधू वसुधा को ॥ ३७॥ अन्यत्र मनहरण आए दरवार विललाने छरीदार देखि जापता करनहारे १ वयद्रथ दुर्योधन का दहनोई या। उने मर्जुन ने शक्टव्यूह के लंदर वुत कर मारा था। २ बहुतों ने भाग लुप्तोपनायें मानो हैं और किसी किसी ने १५ तक। ३चंद्र पर कि। ४ पुजूलियान, वाहियात दातें, झूठ। ५ ईंगुर । ६ चाँदनी अथवा शीतल।