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. पहिला हिस्सा १०३ स्त्रिया जोती है और उनको इस बात का विश्वास है कि दयाराम को मैने ही मार डाला है लौंडी०। हां, वे दोनों जीती है, और उन्हें इस बात का विश्वास है। भूत० । मगर वह वात सच नहीं है, अपने प्यारे मित्र दयाराम को मैने नही भारा वल्कि किसी दूसरे ही ने मारा है। लोडी० । सैर इन बातो से तो मुझे कोई सम्बन्ध नहीं। मैं तो लोडी ठहरी, जो कुछ सुनती हू वही जानता हूँ ! भूत । अच्छा अच्छा, मुझे इन वातो से कुछ फायदा भी नहीं है, बस विश्वास इसी बात का हो जाना चाहिए कि तुम सच कहतो हो और वास्तव मै दयाराम की दोनो स्त्रिया जीती हैं । मुझे खब याद है कि उनके मर जाने की सवर बडी सचाई के साथ उडी थी और उनके क्रिया कर्म मे बहुत ज्यादा रुपया खर्च किया गया था जिसे मैं निज के तौर पर बहुत अच्छी तरह जानता हूं। इस बारे में तुम मुझे क्योकर धोखा दे सकती हो !! लोंडी० । तुम जो चाहो समझो और कहो, मै तुममे बहस करने के लिए नहीं पाई हू और न इन सब रहस्यो को जानती ही हू, वात जो सच है वही कह दी है। भूत० । मगर मुझे विश्वास नहीं आता। लोडी० । विश्वास नहीं प्राता तो जाने दो। भूत० । ऐसी अवस्था में मै इनाम भी नही दे सकता। लांडी० । मुझे इसकी भी कोई परवाह नहीं है । भूत० । अच्छा तो जानो प्रपना काम देखो। लाडी 10 | वा मुझे वापस कर दो, जहा मे मै लाई हूँ वहा रख श्रा और वदनामो से वचू। भूननाय उस लौटी मे बातें भी पारता जाता था और अपने बटुए में से जिमे लोदी ने ला दिया था अन्धेरे में टटोल टटोल कर कुछ निकालता भी जाता था जिसकी यवर उप लोरी को कुछ भी न थी और न अन्ध- गार के कारण वह युछ देग हो सुपत्ती घी । प्रस्तु लौंटी की वात का