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६६ पहिला हिस्सा . 1 गरीब के काम पा जाय तो इसमे वह कर खुशी की बात और क्या हो सकती है। अहा, दनिया मे रुपया भी एक अजीव चोज है । इसको पाच को सह जाना कोई हंसी खेल नहीं है । इसे देख कर जिसके मुंह में पानी न भर श्रावे समझ लो कि वह पूरा महात्मा है, पूरा तपस्वी है और सचमुच का देवता हैं, इस कम्बस्त की बदौलत बडे बडे घर सत्यानाश हो जाते है, भाई भाई मे विगाड हो जाता है, दोस्तो की दोस्तो मे वट्टा लग जाता है जोरू और रासम का रिश्ता कच्चे धागे से भी ज्यादे कमजोर होकर टूट जाता है, और ईमानदारी की साफ और सुफेद चादर में ऐसा धग लग जाता है जो किसी तरह छुडाए नहीं छूटता । इसे देख कर जो धोखे मे न पडा, इसे देख कर जिसका ईमान न टला, और इसे जिसने हाथ पैर का मैल समझा, वेशक कहना पड़ेगा कि उस पर ईश्वर की कृपा है और वही मुक्ति का वास्तविक पाय है। इसकी आच के सामने एक लौंडी का दिल भला कव तव कड़ा रह सकता है ? यद्यपि उस औरत ने अपने चेहरे के उतार चढाव को बहुत सम्हाला फिर भी भूतनाथ जान ही गया कि यह लालच के फन्दे में फस गई। भूत० । सच तो यो है कि उस दौलत को मैं बहुत ही सस्ते दाम में बल्कि मुफ्त मोल में बेच रहा हू, अव भी अगर तुम न खरीदो तो में जोर देवार कहूगा कि तुमसे बढ कर वदनसोव इस दुनिया में दूसरा कोई नही है। क्या वह दौलत कम है ? क्या उसे पाकर फिर भी किसी की नौकरी की जररत रह सकती है ? क्या उसकी बदौलत मुख का सामान इकट्टा होने में किसी तरह की त्रुटि हो सकती है ? विल्कुल नहो । फिर सोच विचार करना क्यों और विलम्ब कसा? फेवल हमारा ऐयारी का वटुमा ना देना और यह बता देना कि मैं कितका नदी है और इन स्थान का मालिक कोन है, सिर्फ इसने हो के बदले में अभी अनी यह रकम तुम्हें मिल सकती है सो भो ऐसी कि उसे कोई छोन भी न मोगा।