७६ पहिला हिस्सा ? - अपने दोस्त गुलावसिंह से राय न मिला लूं । विमला । (कुछ घबराहट के साथ) तो क्या आप हमलोगो के बारे में गुलाबसिंह से कुछ जिक्र करेंगे। प्रभा० । वेशक । विमला० । तब तो आप चौपट हो करेंगे क्योकि गुलावसिंह भूतनाथ का दोस्त है और उससे हमारा हाल जरूर कह देगा। ऐसी अवस्था में मेरे मनसूवो पर बिल्कुल ही पाला पड जायगा बल्कि ताज्जुब नही कि सहज हो में इस दुनिया से ..(लम्बी सांस लेकर) योफ । यदि मैं आपसे भलाई को आशा न करू तो दुनिया मे क्सिसे कर सकती हू वह कौन सा दरस्त है जिसके साये तले मै बैठ सकती है और वह कौन मा मकान है जिसमे स्वतंत्र रूप से रह कर जिन्दगी बिता सकती हूं। एक इन्द्रदेव जिन्होने अपना हाथ मेरे सिर पर रक्खा है, और दूसरे श्राप जिनसे मै भलाई की उम्मीद कर सकती है। यदि आप ही मेरी प्रतिज्ञा भग करने के कारण हो जायेंगे तो हमारी रक्षा करने वाला और हमारे सतीत्व का बचाने वाला, हमारे धर्म का प्रतिपालन करने वाला और हमारी कुम्हलाई हुई शुभ मनोरथ लता में जीवन संचार करने वाला और कौन होगा? मै कसम साफर कह सकती हू कि भूतनाथ कदापि अापके साथ भलाई न करेगा चाहे गुलावसिंह आपका दिली दोस्त हो और चाहे भूतनाथ गुलावसिंह को इष्टदेव के तुल्य मानता हो, साथ ही इसके मैं डके की चोट पर कह सकतो हू कि यदि पाप मुझे धर्मपथ से विचलित हुई पावें, यदि आपको मेरे निर्मल अांचल में किसी तरह का धन्वा दिखाई दे, और यदि जाच करने पर मैं भूठो सावित होऊ तो पापको अस्तियार है और होगा कि मेरे साथ ऐसा बुरा सलूक करें जो किसी अनपढ उजडु और अधर्मी दुश्मन के किए भो न हो सके । बेशक आप मुझे.. इतना कहते कहते विमला का गला भर पाया और उसकी प्रात्तों से भानू को धार वह चली।
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