मूरत बदली हुई हो । मेरा ध्यान भी तो इस तरफ नहीं था कि गौर से उसे
देखता और पहिचानने की कोशिश करता, लेकिन अगर वह वास्तव में गदा.
धरसिंह है तो नि सन्देह खोटा है और कोई भारी घात करने के लिए उसने
यह ढग पकड़ा है । ऐयार भो तो पहले दर्जे का है वह जो न कर सके थोड़ा
है. मगर ऐसा तो नहीं हो सकता कि उसने दयाराम को मारा हो । अच्छा
उसने रणधीरसिंहजी का घर क्यो छोड़ दिया जिनका ऐयार था और जो
बड़ी खातिर से उसे रखते थे? सम्भव कि दयाराम के मारे जाने पर
उसने उदास होकर अपना काम छोड़ दिया हो, या यह भी हो सकता है कि
दयाराम के
दुश्मन और खूनी का पता लगाने ही के लिए उसने अपना रहन
सहन और रंग ढ़ग बदल दिया हो । अगर ऐसा है तो रणधीरसिंहजी इस
बात को जानते होंगे। गुलाबसिंह ने वह भेद मुझ पर क्यो नही खोला ?
हो साकता है कि उन्हें यह सब हाल मालूम न हो या वे धोखे मे आ गए हो,
परन्तु नही गदाधरसिंह तो ऐसा आदमी नही था। अस्तु जो हो, बिना
विचारे और अच्छी तरह तहकीकात किए किसी पक्ष को मजबूती के साथ
पकड़ लेना उचित नही है । इसके अलावे यह भी तो मालूम करना चाहिए
कि जमना और सरस्वती इस तरह स्वतंत्र क्यों हो रही है और उन्होंने अपने
को मुर्दा नयो मशहूर कर दिया तथा यह अनूठा स्थान इन्हें कैसे मिल गया
और यहाँ किसका सहारा पाकर ये दोनो रहती हैं । भूतनाथ से दुश्मनी
रखना और बदला लेने का व्रत धारण करना कुछ हनी खेल नहीं है और
इस तरह रहने में रुपये पैसे की भी कम जरूरत नहीं है। आखिर यह है
क्या मामला । यह तो हमने पूछा ही नही कि यह स्थान किनका है और तुम
लोग आज कल किसकी होकर रहती हो । खैर अब पूछ लेंगे। कोई न कोई
भारी आदमी इनका साथी जरूर है, उसे भी भूतनाथ से दुश्मनी है । क्या
इन दोनों पर व्यभिचार का दोष भी लगाया जा सकता है ? कैसे कहें 'हाँ'
या 'नही', ऐसे खोटे दिल की तो ये दोनो ही नहीं । अगर ये सती और
माध्वी है तो इनका मददगार भी कोई इन्हीं का रिश्तेदार जरुर होगा,
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