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दुसरा भाग
 

कि भूतनाथ का क्या हाल है, क्योंकि असल में भूतनाथ ही इस बखेडे की जड़ है और तज्जुब नहीं कि वे तीनों प्रौरतें भूनाथ के कब्जे में आ गई हों । वहा चलने से कुछ न कुछ पता जरूर लग जायगा।

प्रभा० । रणधीरसिंह के यहां तो मैं किसी तरह नहीं जा सकता यद्यपि वे मेरे रिश्तेदार है मगर इस समय में उनके दामाद (शिवदत्त) से लड कर आ रहा है. इस लिये मुझे देखते ही वे प्राग हो जायगे क्योकि उन्हें अपने दामाद गोर अपनो लडकी को कुरो प्रवस्या पर बहुत दुख हो रहा होगा।

गुलाब० । ठोका है, ऐसा जरूर होगा, मगर मैं यह तो नहीं कहता कि पाप सोधे रणधीर सिंह के पान चले चलिये, मेरा मतलब यह है कि हम लोग सौदागरो को गुरत में वहा जाकर किमी सराय में टेरा डालें तथा ऊपर ही ऊपर लोगों से मिलजुन कर भूतनाथ का पता लगाने पर जो कुछ हाल हो मालूम करें।

प्रभा० । हा यह हो सकता है, अच्छा तो अब यहां ठहरना व्यर्य है, चलो उठो, मैं उमझता हु क इन्द्रदेवजों से मुलाकात किये बिना दिल को तसल्ली न होगी।

गुलाब० । जसर, वहाँ भो चलना ही होगा, मगर पहिले भूतनाथ की खबर लेनी चाहिये।

इतना कह कर गुलाबसिंह उठ पडे हुए, प्रभाकरसिंह ने भी उनका साथ दिया घोर दोनो प्रादमी मिर्जापुर की तरफ रवाना हुए, इस बात का कुछ भी खयाल न किया कि नमम कोन है और रास्ता कैसा फठिन है ।

पन्द्रहवां बयान

प्रेमी पाठ महाशय, प्रभा नका मूतनार के विषय में जो कुछ हम लिख पाये है उसे माप भूतनाथ के जोवनो की भूमिका ही समझे, भूतनाथ का मजेदार हाल जो पद्भुन पटनाप्रो मै मग हुपा है पढ़ने के लिये सभी पार वोडामा पोर मन्त्र कीजिए, अब उसका अनूठा किस्सा पाया ही चाहता है।

मू० २-३