भूतनाथ ७२ इतना कह कर भूतनाथ ने अपना खुलासा हाल उस घाटी में गिरफ्तार हो कर जाने और फिर बाहर निकलने का तथा प्रभाकरसिंह को गिरफ्तार करने का बयान किया और कहा, "मालूम होता है कि उन्ही में से किसी ने तुम्हें गिरफ्तार कर लिया था, खैर खुलासा हाल कहो तो कुछ मालूम हो !" भोला । जी हां बेशक उन्हीं दोनों ने मुझे गिरफ्तार कर लिया था, जब तक मैं उनके यहां कैद रहा तब तक रोज उन दोनो से मुलाकात होती रही, क्योंकि वह रोज ही मुझे समझाने बुझाने के लिए आया करती थी। मैने वहा एक नया हो ढग रचा, जिस पर कई दिनों तक तो उन्हें विश्वास ही न हुमा मगर अन्त में उन्होंने मान लिया कि जो कुछ कहता हूं वह सब सच है । मैने उन्हें यह समझाया कि मैं भूतनाथ का नौकर या शागिर्द नही हू बल्कि मैं राजा सुरेन्द्र सिंह का ऐयार हू, जिनसे चुनार के राजा शिवदत्त से आज क्ल लहाई हुआ ही चाहती है। महाराज सुरेन्द्रसिंह ने सुना है कि गदाधरसिंह राजा शिवदत्त की मदद पर है इसलिए उन्होने मुझे तथा आपने कई ऐयारों को गदाधरसिंह की गिरफ्तारी के लिये भेजा है ! भूतः । (मुस्कुरा कर ) खूब समझाया, मच्छी सूझी। भोला० । जी हां, आखिर उन्हें मेरी बातों पर विश्वास हो गया और कई तरह के वादे करा के उन्होंने मुझे छोड़ दिया । भूत० । क्सि राह से उन्होंने तुम्हें वाहर निकाला? भोला । सो मैं नहीं कह सक्ता, क्योकि उस समय मेरी अखिो पर पट्टी बांध दी गई थी, जव पट्टी खोली गई तो मैंने देखा कि वहां बहुत से सुन्दर और सुहावने वेल तथा पारिजात के पेड लगे हुए हैं और दाहिनी तरफ फई कदम की दूरी पर साफ पानी का एक सुन्दर चश्मा भी वह रहा है भूत० । ( वात काट के ) ठीक है, ठीक है, मैं समझ गया, मैं भी उसो सुरग से वाहर निकाला गया था। परन्तु मैं समझता है कि उसके प्रतिरिक्त भोर भी कोई रास्ता उस घाटी में जाने के लिए जरूर है, क्योंकि ज्य में गिरपतार हुमा था तो किसी दूसरे ही मुहाने पर था। उस समय
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