दूसरा भाग इसका पानी प्रच्छा नहीं है। गुलाब 10 } हा पानी में कुछ बदबू मालूम पडती है, मगर यह बात पहिले न थी, मैं कई दफे इस कुएं का पानी पी चुका हूँ, यहाँ चार पांच कोस के घेरे में यही एक कूत्रा है। इसके बाद दोनो प्रादमी कुछ देर तक मामूली बातचीत करते रहे फ्योकि अनजान मुसाफिर पास होने के ख्याल से मतलव को या भेद की कोई बात नही कर सकते थे। इसके बाद वे दोनो चादर बिछा कर लेट गये और बात की वात में वेखवर होकर खर्राटे लेने लगे। उस समय भूतनाथ अपनी जगह से उठा और दोनो के पास पाकर गौर से देखने लगा कि सभी ये लोग बेहोश हुए है या नहीं। भूतनाथ ने अपने लोटे के अन्दर बेहोशी की दवा लगा दी थी जिसका कुछ हिस्सा पानी में मिलजुस कर इनके पेट में उतर गया था मौर इसी दवा की महक इन दोनो की नाक में गई थी जिसका असल मतलव न समझ फर इन्होने पानी को शिकायत की थी। जय भूतनाथ ने देसा कि वे टोनो अच्छी तरह बेहोश हो गये तब अपने बटुए में से सामान निकाल कर उसने गेशनी को, इसके बाद कुएं में से पानी निकाला और हमाल तर करके इन दोनो का चेहरा साफ किया, उछ समय अच्छी तरह देखने मे भूतनाप का शक जाता रहा और उसने पहिचान लिया कि ये दोनो गुलाबसिंह और प्रभाकरसिंह है। गुलाबसिंह ऐयार नही था मगर प्रफल का तेज पोर होशियार प्रादमी पा तथा ऐयारो के साथ दोस्तो रहने के कारण कुछ कुछ ऐयारी का काम भी कर सकता था और जो उचय से उसने अपनी और प्रभाकरसिंह की सूरत मामूली टग पर बदल ली घो। भूतनाथ ने इन दोनो को पच्छी तरह पहिचान लेने के बाद गुलाबसिंह की सूरत पुनः उमी तरह की एना दो पोर प्रभाकरसिंह को पीठ परसाद कर अपने घर का रास्ता लिया।
पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१३६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।