जाओरा जापोरा राज्य मध्य भारत के मालवा प्रदेश नदी सिंचाई के काम नहीं आती है। चम्बल नदी में स्थित है। यह तीन सन्धि राज्यों ( Treaty states) में साल भर पानी रहता है । लेकिन मलेने में साल में एक है । इस राज्य का क्षेत्रफल केवल ६०२ वर्ग भर में केवल ४ महीने पानी रहता है। चम्बल मील है और कई भागों में बँटा हुआ है । जाओरा, की दो और छोटी सहायक नदियाँ सऊ और रेतम बसेदा, ताल, बरखेरा और नवाबगंज प्रधान तह- हैं। सऊ प्रतापगढ़ की पहाड़ियों से निकलती है सील हैं। मल्हार गढ़ और संजीत की तहसीलें और मन्दसौर होती हुई ग्वालियर और जानोरा दूसरी तहसीलों से कुछ अलग हैं। के बीच में सीमा बनाती है। संजीत तहसील में यह जाअोरा नाम पुराना है । लेकिन इसकी उत्पत्ति चम्बल में गिर जाती है। का पता नहीं चलता है। पहले यह एक छोटा (३०० जाओरा राज्य के जंगली भागों में तेन्दुश्रा मनुष्यों का ) गाँव था। यहाँ पर सोलंकी ठाकुर भालू, काले हिरण और दूसरे जङ्गली जानवर राज्य करते थे। फिर यह नवाब गफूर खाँ के हाथ मिलते हैं। लगा। जाओरा राज्य उत्तर में ग्वालियर और देवास इस राज्य की जलवायु पठार के दूसरे भागों राज्यों से घिरा हुआ है। दूसरी ओर दक्षिण में रतलाम की तरह समशीतोष्ण है। तापक्रम १०० और ७० राज्य और ग्वालियर हैं । पश्चिम की ओर ग्वालि- अंश के बीच में ही रहता है। यर और प्रताप गढ़ राज्य हैं। पिप्पलोदा के ठाकुर की रियासत मल्हारगंज तहसील को दूसरी तलसीलों डाली। उनके पूर्वज ताजिकखेल के सम्बन्धी थे अब्दुल गफूर खां ने जाओरा राज्य की नींव से अलग करती है। संजीत और मल्हारगंज की और स्वात से आये थे। अब्दुल गफूर खां का तहसीलें चारों ओर से ग्वालियर और इन्दौर राज्यों से घिरी हुई हैं। परदादा (पितामह ) अब्दुलमजीद नजीबाबाद के नवाब के यहां नौकर हो गया। धीरे धीरे वह एक जाओरा राज्य में केवल नवाबगंज तहसील का विश्वासपात्र मन्त्री हो गया। पश्चिमी भाग पहाड़ी है । शेष लहरदार पठार है । इसके बीच बीच में चपटी चोटीवाली अकेली पहा- उसके मरने पर उसके दो बेटे अब्दुलहामिद ड़ियाँ उठी हुई हैं। चम्बल और उसकी सहायकमलेनी और अब्दुलरशीद पहले कुछ दिनों गुलामकादिर नां यहाँ की दो प्रधान नदियाँ हैं। मलेनी नदी सैलाना के के यहां नौकरी करते रहे। पास पहाड़ी भाग से निकलती है। जाअोरा राज्य लेकिन गुलाम कादिरखां ने दिल्ली सम्राट् शाह को पार करके यह नदी देवास राज्य में प्रवेश आलम के साथ बुरा बर्ताव किया इससे सिन्धिया करती है। वहीं यह चम्बल नदी में मिल जाती है। महाराज ने उन्हें मार डाला । इसके बाद बड़ा भाई जाओरा और बरोदा तहसीलों की वर्षा का पानी अब्दुल हमीद रामपुर राज्य के भैसिया गाँव में बहकर इसी नदी में आता है। चम्बल नदी विन्ध्या- बस गया और वहीं खेती करने लगा। अब्दुल- चल के पश्चिमी ढालों से निकलती है। यह नदी गफूर खाँ उसी का छोटा लड़का था। कुछ उत्तर की ओर बहती है। सिप्रा के पास इसमें अब्दुल गफूर खाँ का बहुत सा समय दिल्ली सिप्रा ( क्षिप्रा ) नदी मिलती है। सिप्रा नदी और जैपुर के बीच में बीता । फिर वह इन्दौर जाअोरा राज्य को झालावार राज्य से अलग करती आया । १८११ ई० में जसवन्त राव होल्कर के मरने है। नदी के किनारे बड़े सपाट हैं। इसलिये यह पर गद्दी के लिये झगड़ा हुआ । महारानी तुलसी-
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