दतिया-राज्य से फैला 1 स्थिति और क्षेत्रफल- जलवायु-वर्षा- दतिया-राज्य भी बुन्देलखण्ड में सेन्ट्रल इण्डिया इस राज्य में गर्मिगों में अधिक गर्मी और शीतकाल में एजेन्सी का एक राज्य है। यह राज्य २५°३४ से २६ १८ अधिक सर्दी पड़ती है। ३८ इञ्च सालाना वर्षा होती है । उत्तरी अक्षांस और ७८°१३' से ७८°५३' पूर्वी देशान्तर इतिहास हुमा है। इसका क्षेत्रफल ६१२ वर्ग मील है। भगवानराव- जनसंख्या १,०८,८३४ है। यहाँ के राजा ओरछा राज्य के वंशज हैं। महाराज प्राचीन काल में यह प्रान्त दन्तवकर दानव राजा के बीरसिंह ओरछा के पुत्र भगवान राव थे। उनको दतिया की अधिकार में था। जिसको कृष्ण भगवान ने मारा था । जागीर मिली थी। कार्तिक सुदी नौमी सम्बत् १३८३ को दतिया उसी दन्त नगर से बिगर कर बना । वर्तमान भगवान राव दतिया आये। भगवानराव ने मुगल बादशाह नगर दीपालपुर को दलपत राव ने बसाया था । उसने अपने की बड़ी सहायता की और कई स्थानों पर लड़ाई में गये राशि के नाम पर परताप नगर का किला भी बनवाया था। जिसके इनाम में उनको छोटी छोटी पदवियों के सिवा पाँच इस राज्य के उत्तर में ग्वालियर राज्य और जालौन हजारी के मंसब की भी पदवी मिली । १६५६ में उनकी का जिला, दक्षिण में गवालियर राज्य और झाँसी का मृत्यु हो गई। उनकी स्मृति नगर के समीप ही सुराही छतरी, जिला, पूर्व में समथर और झाँसी का जिला, और पच्छिम के नाम से प्रसिद्ध है। में गवालियर राज्य है शुभकरन (१६५६-८३ )- भगवानराव की मृत्यु के बाद उनके पुत्र सभाकरन गद्दी प्राकृतिक विभाग- पर बैठे। औरंगजेब की सहायता राजगद्दी सम्बन्धी में सेन्ट्रल इण्डिया के निचले भाग में यह राज्य स्थित शुभकरन ने की थी इसलिये उसे बुन्देलखण्ड का सूबेदार है। मुख्य नगर का दक्षिणी भाग कँकरीला-पथरीला और औरङ्गजेब ने बनवाया और पंच हजारी मंसब की पदवी दी ! चट्टानों से भरा है। उत्तरी भाग उपजाऊ है और कछारी १६८२ ई० में राजा दिलेरखाँ की सेना के साथ डेकन गये, भूमि है। यहाँ केवल एक सिउन्ध पहाड़ी है जो समुद्रतल और बीमार पड़ गये। ६३ साल की अवस्था में १६८२ ई० से १,००० फ़ीट ऊँची है। सिन्ध और पाहुज दो नदियाँ में उनकी मृत्यु हो गई । इनके दो पुत्र थे। एक का नाम हैं। सोमला और पदवान इनकी सहायक नदियाँ हैं । दलपत राव और दूसरे का अर्जुन सिंह था। सीता सागर, तरोन ताल, लक्ष्मण ताल, करन सागर, दलपतराव (१६८३-१७०७)- राधा सागर, लाला का ताल, बरौनी ताल, राम सागर और शुभकरन की मृत्यु का हाल सुन कर औरंगजेब को बड़ा वीर सागर इस राज्य में प्रसिद्ध झीलें हैं। यहाँ से लोग दुख हुआ और उसने कासिम खाँ को अपनी ओर से शोक पानी लेते । किन्तु सिंघाड़े के लिये यह नदियाँ काम में प्रकट करने के लिये दतिया भेजा । और पंच हजारी मंसबदार नहीं लाई जातीं। इनके किनारों में पानी हट जाने पर दलपतराय को बनाया। बाद को राजा दिल्ली गए वहाँ खेती होती है । ते, धवा, घोटहर, अचार, करदी, करौंदा, उनकी बड़ी खातिर हुई । एक बार शाह की बेगम को राजा खैर, बाँस आदि वृक्ष के जंगल हैं। श्रागरा भेजने गए । रास्ते में दलपत राव के रानी का हाथी मकान बनाने की गलू, शोरा और नमक यहाँ पाया बिगड़ गया। पर्दा खुल जाने के भय से राजा ने रानी को जाता है। १,८४० मन नमक और ४,... मन शोरा मारना चाहा किन्तु बेगम ने यह सुन अपनी बन्द पालको सालाना निकलता है। दतिया नगर में कुछ अफीम भी भेज दी। उसी दिन से आज तक दतिया राज्य की रानियाँ बनाई जाती है। बाहर निकलते समय बन्द पालकी पर निकलती हैं।
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