३ अङ्क १-४] हैदराबाद की प्रगति सरकार के विश्वासपात्र मित्र" (Faithful ally of को हिज हाइनेस प्रिन्स आफ बरार की नूतन उपाधियें the British Government) नामक खानदानी प्राप्त हुई हैं तथा इसके अतिरिक्त उन शर्तों के खिताव को स्थिरता प्रमाणित की और इस ऐतिहासिक साथ यह भी शर्त है कि निजाम सरकार अपना उपाधि की यथार्थवादिता तथा सत्यता पर अपने दरवार बरार में कर सकेगी, उपाधियां दे सकेगी और निजी प्रशंसात्मक विचार प्रकट किये। वरार में निजाम सरकार की पताका यूनियन जैक के बरार की कथा साथ फहरायेगी । निजाम सरकार का एक एजेन्ट मध्यप्रान्त-बरार की राजधानी नागपुर में रहा करेगा जो सन् १८५३ में निजाम सरकार के साथ अंग्रेजों की सण्य समय पर निजाम सरकार संबंधी दृष्टि-बिन्दु संधि हुई जिसके अनुसार कुछ प्रान्त ब्रिटिश सरकार रक्वेगा। इस प्रकार १६ शतों में यह समझौता होकर को मिल गये । परन्तु ब्रिटिश सरकार की दृष्टि बरार पर फिर से निजाम सरकार का आधिपत्य बरार की उपजाऊ भूमि पर थी, इसका क्षेत्रफल होगया । लेकिन बरार के लोग निजाम राज्य में फिर १७८९ वर्गमील है तथा २४ लाख के लगभग से जाना पसन्द नहीं करते हैं। आबादी है । बरार की भूमि उपजाऊ है। यहां कपास की खेती अच्छी होती है । इसके अतिरिक्त प्राचीन और आधुनिक दर्शनीय स्थान कोयला आदि वस्तुओं की पैदावार के कारण अच्छी जिस प्रकार क्षेत्रफल और जनसंख्या में निजाम आय है। राज्य एक महाराज्य के रूप में दृष्टिगोचर होता है २० वीं सदी के प्रारंभिक काल में हैदराबाद की उसी प्रकार पुरातत्व, कला और दार्शनिकता में गद्दी पर भूतपूर्व निजाम थे उस समय भारत के संसार में अपना अद्वितीय स्थान रखता है। एलोरा गवर्नर जनरल लार्ड कर्जन नये आये थे । लार्ड कर्जन और एजन्टा की गुफायें आज भी प्राचीन शिल्प- उन गवर्नर जनरलों में से थे जिन्होंने भारत में ब्रिटिश कला का मस्तक ऊँचा किये हुये इसी राज्य के प्राङ्गण हुकूमत की नींव दृढ़ की है । उनका व्यक्तित्व भी बहुत में विद्यमान हैं। ऊँचा था । उन्होंने भारत में पदार्पण करते ही बरार एजन्टा देखने में एक साधारण ग्राम है परन्तु यहीं को अपने अधिकार में करने का निश्चय किया। पर विश्वविख्यात ३० गुफायें एक चट्टान के दक्षिणी निजाम सरकार से भेटें प्रारम्भ हुई। और किनारे पर खुदी हुई है। सब से पुरानी गुफाओं के निजाम सरकार से बृटिश सरकार पहले ही से विषय में कहा जाता है कि वह तीम सदी में निर्मित सहायक सेना को वेतन न देने के कारण जो कर्ज हुई थीं और उनमें से अधिकतर १५०० वर्ष पूर्व बढ़ गया था उसे मांगती थी । ब्रिटिश सरकार निर्मित की गई थी । दीवार, छत और खम्भे लगभग ने कर्ज के बदले में यह कहा कि आप अपना बरार सभी गुफाओं के रंगे हुये हैं और यह रंग ऐसा है हमें व्याज पर सौंप दें और उसकी शासन व्यवस्था कि आज भी नया दिखाई देता है मानो इसी भी हम करेंगे । इसके बदले आप के कर्ज से भी रात को कारीगरों ने इसे रंगा हो। इसके अतिरिक्त मुक्त किये जाते हैं। बल्कि ब्रिटिश सरकार प्रति १३ गुफायें ऐसी भी हैं जिनमें कहीं कहीं रंग नहीं वर्ष २५ लाख रुपये देगी। निजाम सरकार ने उक्त है। १,२,९,१०,१६,१७ नम्बर को गुफाओं में अधिक संधि स्वीकार की और १९०२ में निजाम सरकार चित्ताकर्षक और सुन्दर कला का दिग्दर्शन होता है । की छत्र छाया में शासित बगर ब्रिटिश प्रान्त में इस आश्चर्यजनक रंगाई में जो आश्चर्यजनक सामग्री ल कर लिया गया। काम में लाई गई है, उसमें सफेद, काला, लाल, पीला परन्तु २० अक्टूबर १९३६ को भारत सरकार आदि रंग विशेष उल्लेखनीय है। यहां पर बौद्ध मैर निजाम,सरकार में जो नूतन संधि हुई है उसके और जैन संस्कृति का अस्तित्व दिखाई देता है। और नुसार हैदराबाद नरेश को हिज-एक्जाल्टेड हाइनेस उनके वैभव-काल की झांकी आज भी इस प्राङ्गण में । निजाम श्राफ हैदराबाद एण्ड बरार तथा युवराज गूंज उठती है ।।
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