- १५४. रेवाकांठा एजेन्सी यह राजनैतिक एजेन्सी बम्बई सरकार के अधि. ग्यारहवीं, बारहवीं और तेरहवीं सदो में जब मुसल- कार में हैं। छोटे बड़े सभी मिलाकर इस एजेन्सी में मानों का आक्रमण हुआ तो यह लोग और दक्षिण ६१ राज्य हैं । तीन राज्य ऐसे हैं जो किसो का कर खदेड़ दिये गए ओर इनकी जगह पर राजपूतों का नहीं देते । ५ राज्य ब्रिटिश सरकार को कर देते हैं, एक राज्य हुश्रा । पहले पहल राजपिप्पला के राजा ने अपना राज्य छोटा उदयपुर को कर देता है और शेष राज्य अधिकार जमाया । सोलहवीं सदी में अहमदाबाद के बड़ौदा के गायकवाड़ को कर देते हैं। सुलतान ने सारे रेवाकांठा को अपने अाधान कर इस एजेन्सा के उत्तर में मेवाड़ और बाँसवाड़ा लिया। इसके पश्चात् मरहठों का अधिकार हुश्रा । के राज्य, पूर्व में झालोद, दोहद, पंचमहल के जिले, समय समय पर छोटे छोटे घराने विवश होकर अलीराजपुर, भोपावार एजेन्सी और खानदेश का अपना राज्य छोड़ देते थे और नया राज्य स्थापित प्रान्त, दक्षिण में बड़ौदा राज्य और सूरत का जिला, करते थे । यह लाग मरहठों को अध्यक्षता में बड़ी पश्चिम में भडोंच का जिला, बड़ौदा राज्य, खेरा गड़बड़ो मचाते थे गायकवाड़ शाँति स्थापित करने में अहमदाबाद इत्यादि हैं । एजेन्सी की लम्बाई १४० असमर्थ हुआ तो १८२१ ई० में अंग्रेजों से संधिहुई । मील, चौड़ाई १० से ५० मील तक है। क्षेत्रफल जिसके द्वारा अंग्रेज़ों को शॉति स्थापित करने का ४७६२ वर्गमील है और जनसंख्या ५,५३,४५२ है। अधिकार मिला और पहले पहल १८२६ ई० में राज्य की आय लगभग २,४०,००० रु. पौंड है। रेवाकांटा की एजेन्सी स्थापित हुई। १८२९ ई० में माहो और गुजरात के समीप का प्रदेश बराबर पोलीटिकल एजेन्ट की जगह मिला दो गई किन्तु और खुना । यहाँ दो मुख्य श्रेणियाँ हैं। राज १८५२ ई० में फिर रेवाकांठा एजेन्सी कायम की गई पिप्पला की पहाड़ी जो सतपुड़ा पहाड़ी का पश्चिमी और सभी सरदारों और राजों के अधिकारों को भाग है और विन्ध्याचल की श्रेणियाँ हैं । यहाँ की बताया गया। मुख्य नदियाँ नर्मदा और माही हैं। माही १२० मील १८५३ में कैरा के कलक्टर से बालासिनार राज्य इस एजेन्सी में बहती है। पूर्व की ओर यह नदी लेकर इस में मिलाया गया। १८६२ में सिंधिया ने जंगल और पहाड़ों में होकर बहती है । किन्तु पश्चिम ग्वालियर के समीप के प्रदेश के बदले में पंचमहल में समतल खुले मैदान हैं । नर्मदा जङ्गलो पर्वताय प्रदेश अँग्रेजों को दे दिया गया । १८७६ में पंच महल जिला से इस एजेन्सी में दाखिल होती है। इसके किनारे बनाया गया। इसका अफ़सर रेवाकांठा स्टेट्स के जङ्गल हैं और किनारे पर चट्टानों के बड़े बड़े करारे हैं। ऊपर भी अधिकार रखता है । अंतिम भाग में चालीस मील तक नर्मदा अधिक चौड़ी रेवाकांठा के ६१ राज्यों में केवल राज पिपला है । यह तट नोचा है और यहां को भूमि उपजाऊ है। हो प्रथम श्रेणा का राज्य है । यह सव से अधिक बड़ा रेवाकांठा का अधिकांश भाग जङ्गल से घिरा और प्रसिद्ध राज्य है। यहां के राजा को दयमुल है । जङ्गलों में भाँति २ के वृक्ष पाए जाते हैं। यह हफ्स और फांसी का भी अधिकार है। यहाँ के राजा रिजर्व जङ्गल भी हैं जो मित्रा बहुत अधिक आवश्य- ब्रिटिश प्रजा के मुकदमे भी कर सकते हैं छोटा कता के और कभी नहीं काटे जाते । दूसरे उदयपुर, बारिया, सुन्थ, लुनाबाड़ा, बालासिनार बन तीस साल में काटे जाते हैं । जङ्गलों में शेर, राज्य दूसरे श्रेणी के हैं। और अन्दर के मामलों में तेंदुवा, साँभर, रोछ, नील गाय, हिरन, जङ्गली स्वतंत्र है । कदाना और संजेलो राज्य कर नहीं दे।। सुवर, भैंसे आदि जानवर पाए जाते हैं । सँखेदामे वास में २६ राज्य हैं । जिन का क्षेत्र- प्रथम अन्हिलवाड़ा वंश के समय में लगभग फल २११ वर्गमोल है। जनसंख्या ५३,२१४ है और सारा रेवाकांठा प्रान्त बारियस के आधीनता में सालाना मालगुजारी २,९८,००० रुपया है।पाँडु मेहवास था। बारियस कोलों और भिलों का सरदार था । में २२ रियासतें हैं जिसका क्षेत्रफल १३८ वर्गमील,
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