जूनागढ़ १३९ इसमें ३,००० व्यक्ति कार्य कर रहे हैं। साथ ही सभी दशाओं में उन्नति कर रहा है । यहां शांति और साथ राज्य के खनिज पदार्थों को काम में लाने का न्याय का राज्य है। प्रजा सुखी है । सचमुच लार्ड प्रबन्ध हो रहा है। सिडेनहम के शब्दों में हम राज्य के वर्तमानकाल को वर्तमान नरेश ठाकुर साहब की अधीनता में राज्य "भगवत सिंह जी का स्वर्णकाल" कह सकते हैं । जूनागढ़ जूनागढ़ राज्य पश्चिमी काठियावाड़ में स्थित है। १४७२ ई० में अहमदाबाद के मोहम्मद बुगरा इसके दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर है। इसका क्षेत्र- ने इस जूनागढ़ को राजपूतों से जीत लिया। सम्राट फल ३३३७ वर्गमील है । यहाँ की जलवायु समशीतो अकबर के समय में यह दिल्ली राज्य के आधीन ष्ण और स्वास्थ्यप्रद है। केवल गिरनार के बड़े बन हो गया। १७३८ ई० में शेर खाँ बाबी ने गुजरात में की जलवायु अच्छी नहीं है। यहाँ साल में ४० इश्व एक स्वतंत्र राज्य स्थापित किया। जूनागढ़ के शासक वर्षा होती है। राज्य के भीतर ११ नदियां हैं जो राज्य पहले पहल सन् १८०७ में अंग्रेज सरकार के मित्र के भीतर सिंचाई का काम देती हैं। यहाँ की भूमि बने और आपस में संधि हुई । तब आज तक वैसा उपजाऊ है। कपास, ज्वार, बाजरा, चना, जौ आदि ही मित्रता का भाव चला आता है । वर्तमान शासक की उपज होती है। तटवर्ती एक पट्टी में कुओं के कैप्टेन हिज़ हाईनेस सर महावत खां जी, जी० सी० सहारे साल में तीन फसल होती हैं । गिरनार-बन की आई० ई०, के० सी० एस० आई०, की गणना लकड़ी बड़े काम की है । यहाँ चरागाह अच्छे काठियावाड़ के प्रथम श्रेणी के नरेशों में होती है। हैं । कुछ घास के मैदान रिजर्व हैं जहां शेर पाए आप १९०० में पैदा हुए और पिता की मृत्यु पर १९११ जाते हैं । यही भारतवर्ष में एक ऐसा स्थान है जहाँ में गद्दी पर बैठे । आप शिक्षा प्राप्ति के लिये इङ्गलैण्ड शेर हैं। नवाब साहब इन बचे हुये शेरों को बचाने भेजे गए । किन्तु साल भर बाद माता के आग्रह पर के लिये लोगों को बहुधा शिकार नहीं खेलने देते। लौट आए और मेओ कालेज अजमेर में शिक्षा यहाँ को जन-संख्या ५,४५,१५२ है। जूनागढ़ राज प्राप्त की । १९२० में आप के हाथ में राज्य प्रबन्ध की धानी गिरनार पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी को बागडोर सौंप दी गई। १९३१ में आप को कैपटेन, सब से ऊँची चोटी ३,६६६ फुट है । यह स्थान सारे जी० सी० आई० ई० तथा के० सी० एस० आई० की काठियावाड़ प्रदेश में सब से अधिक रमणीक है। उपाधि प्राप्त हुई। आप बड़े साफ और अच्छे स्वभाव यह प्रदेश किसी समय में सौराष्ट्र के नाम से प्रसिद्ध के हैं। छुट्टी का समय बाहर न बिता कर आप था। यहां पर प्राचीन काल के मन्दिर और मूर्तियां अपने राज्य में ही बिताते हैं। आपको राज्य के अन्दर हैं । श्रीकृष्ण भगवान के समय के और उनके चरित्र अपनी सभी जाति की प्रजा प्रिय है। के बहुत से चिन्ह अब भी यहाँ पाए जाते हैं। यहीं पर हिज हाईनेस को राज्य के अन्दर सर्वाधिकार हैं। सोमनाथ का प्रसिद्ध मन्दिर और दुर्ग है। यहीं पर आपकी सहायता के लिये एक सभा है जिसके सदस्य पवित्र गिरनार की पहाड़ो है। यहाँ महाराजा अशोक के कार्य के न्यूनता और अधिकता पर निर्भर करती समय का एक स्तूप है ! यहाँ कपराकोडिया की गुफायें है। वर्तमान समय में केवल ५ मेम्बर हैं। सभा के और अमरकोट के मन्दिर प्रसिद्ध हैं । काठियावाड़ सभापति दीवान हैं। राज्य प्रबन्ध में जब कभी कोई का यह सब से बड़ा राज्य है और भारतवर्ष के मुख्य त्रुटि या घोर अन्याय होता है तभी हिज हाई- मुसलमानी राज्यों में इस का चौथा नम्बर है । यद्यपि नेस नवाब के सामने प्रार्थना पत्र जाता है। राज्य १३ यह एक मुसलमानी राज्य है तो भी यहाँ राज्य-शासन मोहालों अथवा जिलों में विभाजित है और उनमें में धार्मिक कट्टरपन नहीं है। ८४३ गाँव हैं।
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