राजगढ़ स्थिति- था। उसके वंशज उभट राजपूत मालवा में राज्य राजगढ़ मध्य भारत में २३ २७ अक्षांश से करते रहे। २४.११' अक्षांश (उत्तर) तक और ७६ २३' से सन् १२२६ के लगभग अमरा और ममरा राज- ७७ १४ देशान्तर (पूर्व ) में स्थित है। इसका क्षेत्र- पूत अपने जाति भाई सोधा लोगों से हार गये और फल ६४१ वर्ग मील है । अंग्रेजी सरकार की ओर से उनकी मातहती में रहने लगे। सोधा लोग उन ३५ सुथालिया रियासत ( २२ वर्ग मील) भी इसी भाइयों में से एक थे जो परमार वंशीय राजा मगराव में शामिल समझी जाती है। इसके उत्तर में कोटा के पुत्र थे । और ग्वालियर, दक्षिण में ग्वालियर और देवास, उमत इतिहास के अनुसार सारंगसेन ने सन् पूर्व में भोपाल तथा पश्चिम में खिलचीपुर रिया- १३४७ में धार में अड्डा जमाया। सारंगसेन ने सतें हैं। सिन्ध और पार्वती नदी के बीच की भूमि ले ली रियासत के उत्तरी हिस्से में पहाड़ियाँ हैं और और चित्तौड़ के राना की ओर से उसे रावत की दक्षिणी हिस्सा मालवा के पठार का हिस्सा है। पदवी मिली। इसकी चौथी पीढ़ी में रावत किशन पार्वती नदी इसके पूर्वी सीमा के पास से होकर बहती सिंह सिकन्दर लोदी की ओर से उज्जैन का है। नेवाज नदी रियासत में होकर बहती हुई पार्वती गवर्नर नियुक्त किया गया। किशनसिंह को मालवा नदी से मिल जाती है। उत्तर की पहाड़ियों में में २२ गाँव मिले। उसके बाद उसके पुत्र डूंगरसिंह विन्ध्याचल के बलुवा चट्टानों की अधिकता है और ने राजगढ़ से १२ मील दूर डूंगरपुर बसाया। दक्षिण के पठार की मिट्टी दकन की मिट्टी का सिल- सन् १६०३ ईस्वी में वह तालेन के पास मार डाला सिला है । जङ्गलों में और पेड़ों के साथ बांस की गया और उसके ६ पुत्रों में से सबसे बड़े उदय जी अधिकता है । हिरन, तेंदुआ और जङ्गली सुअर ने नरसिंहगढ़ से १२ मील दूर रतनपुर को अपनी काफी पाये जाते हैं। जलवायु शमशीतोष्ण है। राजधानी बनाया। उदय जी को अकबर की ओर औसत वर्षा २६ इऊच होती है। से सनद मिली। उदयसिंह का उत्तराधिकारी छतरसिंह १६३८ में शाही फौज से लड़ते हुए मारा गया। इतिहास उसका नाबालिग़ पुत्र मोहनसिंह अजबसिंह नामक राजगढ़ और नरसिंह गढ़ के राजा ऊमत राज- दीवान की देख-रेख में गद्दी पर बैठा । अजबसिंह पूत हैं। ऊमन राजपूत परमार वंश की एक शाखा भी शाही फौज से लड़ाई में मारा गया और है। परमार वंश मालवा, उज्जैन और धार रियासतों राजकाज उसका पुत्र परसराम संभालने लगा। में पिछली ६ शताब्दियों से राज कर रहे हैं। परमार परसराम ने पाटन में एक क़िला बनवाया। कुछ वंश उस अग्निकुल में से है जिनका आदि निवास समय बाद मोहनसिंह परसराम पर शक करने आबू पर्वत पर बताया जाता है। लगा और आपसी झगड़े बढ़ने लगे। नतीजा यह राजा मांगराव के १२ रानियाँ थीं और ३५ पुत्र हुआ कि राज्य के दो हिस्से हो गये। एक राजगढ़ थे। उनमें से मुख्य अमरासिंह और समरा सिंह ने दूसरा नरसिंहगढ़। अपना राज्य राजपूताना और सिंध के रेगिस्तान में मोहनसिंह के बाद राजगढ़ की गद्दी पर उसका कायम किया । अमरकोट का प्रसिद्ध किला जिसमें पुत्र अमरसिंह बैठा। उसके समय में उसके भाई अकबर पैदा हुआ था अमरासिंह के नाम पर बना सूरतसिंह को सुथालिया ग्राम के आसपास की
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