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बरवानी राज्य । । बरवानी राज्य का पहले अवासगढ़ नाम था, किन्तु माल सिंह, बीरम सिंह, कनक सिंह, भीम सिंह, जब से बरवानी नगर राजधानी हुई तब से इस राज्य का अर्जुन सिंह, वागजी सिंह, परसन सिंह आदि राजे हुए नाम भी बरवानी पड़ गया। इस राज्य का क्षेत्रफल लग जिनके बारे में कुछ अधिक ज्ञात नहीं है। १६१७ में भग १,१७८ वर्गमील है। इसके उत्तर में धार राज्य, पूर्व लिमजी गद्दी पर बैठे। उन्हीं के समय में गोविन्द पंडित ने में इन्दौर राज्य, दक्षिण और पश्चिम में खानदेश का अवासगढ़ राज्य का इतिहास लिखा। १६४० में चन्द्र सिंह जिला है। राजा हुए । इन्होंने अवासगढ़ के किले को अच्छा न देख यद्यपि यह राज्य विन्ध्याचल और सतपुड़ा पहाड़ों के बरवानी को अपनी राजधानी बनाई। चन्द्र सिंह के बाद सूर पहाड़ी प्रदेश में स्थित है तो भी इसके तीन प्राकृतिक भाग सिंह, जोध सिंह, परबत सिंह, मोहन सिंह, अनूप सिंह, हैं। (१) उत्तरी या नर्मदा का प्रदेश (२) जलगांव प्रदेश उमेद सिंह आदि राजे हुए। १७६४ में मोहन सिंह द्वितीय (३) सतपुड़ा प्रदेश । जालगांव प्रदेश में समतल मैदान हैं, गद्दी पर बैठे । इन्हीं के समय में सर जान मैलकम ने मालवा किन्तु सतपुड़ा प्रदेश पहाडी है। इस राज्य में नर्मदा की का बन्दोबस्त किया। १८३६ में जसवन्त सिंह राजा हुए। घाटी में सुन्दर दृश्य दिखाई पड़ते हैं। नर्मदा नदी राज्य के १८५७ में इसके पश्चात् विप्लव हुआ तो ताँतिया टोपी ने अन्दर ५२ मील बहती । इसके किनारे घाटी को भूमि राज्य को लूटा । १८६१ ई० में जसवन्त सिंह का शासन बड़ी उपजाऊ है । नर्मदा नदी के किनारे किनारे घाट और ठीक न होने के कारण अँग्रेज़ सरकार ने राज्य ले लिया, मन्दिर हैं। इसी के किनारे कपिल मुनि का आश्रम था। किन्तु फिर १८७३ में बागडोर राजा के हाथ दे दी गई। लोहारा स्थान में कपिल और नर्मदा के संगम पर शिवरात्रि जसवन्त सिंह के मरने के बाद उनके भाई इन्द्रजीत सिंह के अवसर पर बड़ा मेला लगता है। यहाँ सिद्धश्वर और १८८० में गद्दी पर बैठे। और १८८६ में राज्य का पूरा अमरेश्वर महादेव के मन्दिर हैं। मोरकाटा के समीप हरन- शासन उनके हाथ सौंपा गया। किन्तु ८ साल बाद ही उनकी फाल स्थान पर नर्मदा नदी बहुत कम चौड़ी है । गोही, मृत्यु हो गई। श्रोमरी, गोमी, मोगरी, बैगोरखोदर, देव, नहाली, रुपावल रणजीत सिंह (१८८४)- आदि नदियाँ नर्मदा की सहायक हैं । लगभग ६८० वर्ग इन्द्रजीत के पश्चात् राणारणजीत सिंह गद्दी पर बैठे। मील जंगल हैं। आपने डेली कालेज इन्दौर और मेरो कालेज अजमेर में शिक्षा पाई । यद्यपि अठारहवीं सदी में राज्य का बहुत बड़ा जलवायु-- भाग निकल गया किन्तु कभी भी इस राज्य ने किसी को सालाना वर्षा नर्मदा प्रदेश में २१४, जालगाँव प्रदेश भी कर नहीं दिया और न कभी किसी से टाँका ही में २३.५ और सतपुड़ा प्रदेश में १६.५ इंच है। लगभग लिया । राजा दीवान की सहायता से शासन करता है। २,५०,००० एकड़ भूमि में खेती होती है। अगहनी और माल और न्याय के मामलों में राजा को सर्वोत्तम अधिकार बैसाखी दो खास फसलें होती हैं । लगभग ८५ फी सदी लोग प्राप्त हैं, किन्तु फौजदारी व हत्या इत्यादि में राजा के अधि- खेती पर निर्भर करते हैं। केवल बारवानी, राजपुर और कार कम हैं। राज्य बरवानी, अंजर, राजपुर, सिलावद, अंजर नगरों के निवासी दूसरा ब्यवसाय करते हैं। इन स्थानों पाटी, पाँसेमल, खेटिया, निवाली आदि परगनों में विभाजित में पुतलीघर हैं जहाँ कपास साफ की जाती है। इसके हैं। प्रत्येक परगना एक कमासदार के अधिकार में है। सिवा खादी, कम्बल, दरी, निवार, चूरिया इत्यादि वस्तुएँ राज्य की जनसंख्या १,४१,११० है और सालाना भी राज्य में बनाई जाती हैं। श्राय १०,८३,००० रु. है। संक्षिप्त इतिहास- वर्तमान नरेश हिज हाईनेस राना देवी सिंह हैं । आप यहाँ के राजे सिसोदिया राजपूत हैं और उदयपुर के चैम्बर माफ प्रिन्सेज के मेम्बर हैं और आपको ११ तोपों घराने से इनका सम्बन्ध है। की सलामी लगती है। - 2