१२२ भूगोल [ वर्ष १६ पर लकड़ी और अफीम को छोड़ सभी कर माफ करता है। राज्य सीतामऊ, भगोर और तीरोड तीन कर दिये। तहसीलों में बँटा है। यह तहसीलें तहसीलदार और बहादुरसिंह के बाद सारदूलसिंह गद्दी पर बैठे । नायब तहसीलदारों के प्रबन्ध में हैं। राजा के पास इस समय राज्य में १८६ में बड़ा भारी अकाल पड़ा कुछ राजपूत सवार और १४४ पुलीस हैं जो राज्य- जिसके कारण प्रजा की सहायता के लिये राजा को प्रबन्ध में राजा की सहायता करते हैं। राज्य की एक लाख पच्चीस हजार का क़र्ज़ लेना पड़ा। जनसंख्या लगभग २५००० है। राज्य के २० प्रतिशत सारदूलसिंह के मरने पर भारत सरकार ने भाग में खेती होती है। रबी खरीफ दो फसलें लोग राजा के कोई वंश न होने के कारण काछी बरौदा तैयार करते हैं। ज्वार, बाजरा, कपास, गेहूँ, चना, के ठाकुर के पुत्र रामसिंह को चुना और १६०० में जौ, अल्सी आदि वस्तुएं पैदा होती हैं । राज्य की गद्दी पर बैठाया। भारत सरकार ने ४०,६०० रुपया सालाना आय लगभग १ लाख २६ हजार और नजराना लिया। १०१२५ रुपये की राजा को खिल- व्यय लगभग ८०,००० रु० है । अत भारत सरकार ने दी जो नजराने की रकम में राज्य की जनसंख्या २८,४२२ है और सालाना काट दी गई । २८ फरवरी सन् १६०५ में राजा को आय २,७१,००० रुपये है। राज्य-प्रबन्ध का अधिकार दिया गया। १६०५ में वर्तमान नरेश हिज हाईनेस राजा सर रामसिंह राजा, राजकुमार और राजकुमारी वेल्स से मिलने के० सी० आई० ई० ( राठौर राजपूत ) हैं। आपको ११ तोपों की सलामी लगती है और आप चैम्बर राजा दीवान की सहायता से राज्य-प्रबन्ध आफ प्रिन्सेज के मेम्बर हैं। इन्दौर गए। sha
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