११८ भूगोल [ वर्ष ५६ मिलकर प्रताप सिंह को सागौद स्थान पर हराया । ने कर्ज को बड़ी चतुरता से चुकाया ही था कि इस प्रकार रावटी ( सैलाना) जागीर जैसिंह के १८६९-१६०० में अकाल पड़ा, जिससे राज्य की हाथ आई। १७३६ में जैसिंह ने रावटी को छोड़ आर्थिक स्थिति फिर बिगड़ गई वर्तमान राजधानी सैलाना की नींव डाली। महाराज जसवंतसिंह ने राज्य के प्रत्येक विभाग १७५७ और १८५० के बीच के राजे- में सुधार किया और समयानुकूल बना दिया । १६०० में राजा को कैसरहिन्द का सोने का तमगा मिला। १७५७ में जैसिंह मरे। उसके पश्चात् यशवंतसिंह १६०४ में इण्डियन एम्पायर के नाइट कमान्डर राजा हुये, फिर 'अजबसिंह ने (१७७२-८२ ) तक बनाए गये। राज्य किया और फिर मोखामसिंह ( १७८२-६७ ) लक्ष्मणसिंह (१७६७-१८२६ ) ने राज्य किया। इसके महाराज के पाँच पुत्र हैं-(१) दिलीपसिंह (२) भारतसिंह (जो मुल्तान के राज्यों के राजा पश्चात् तनसिंह (१८२६-२७),नाहरसिंह (१८२७-४२) होंगे) मानधातासिंह जो अडवानिया के जागीरदार और तख्तसिंह (१८४२-५० ) आदि का राज्य रहा। हैं, रामचन्द्र और अज्ञातशत्रु हैं। दूलसिंह ( १८५०-६५)- राज्य दो तहसीलों में विभाजित है। प्रत्येक दूलसिंह की अवस्था कम होने के कारण राज्य तहसील एक तहसीलदार के आधीन है। राजा शासन अंग्रेज सरकार करती रही । १८५७ में विप्लव दीवान की सहायता से राज्य शासन करता है। हुआ तब राज्य शासन की बागडोर रतनसिंह की राजा की सहायता के लिये १६८ सिपाही, १५ विधवा स्त्री के हाथ में सौंप दी गई । विप्लव काल बन्दूकची और ५ बन्दूकें हैं। में शांति स्थापित रखने के कारण रीजेन्सी के सभी मेम्बरों को जिलश्रत मिली । १८५९ में दूलेसिंह को ४१,८०० एकड़ भूमि में खेती होती है। रबी और राज्य में लगभग १,१६,५५२ एकड़ बन हैं। शासन करने का अधिकार मिल गया। १८८४ में खरीफ की फसलें पैदा होती हैं। जलवायु गर्म है। राजा ने जसवंतसिंह को गोद लिया । १६०१ में यह वर्षा लगभग ७५ इंच सालाना है। अगहन में बात तै हुई कि सैलाना राज्य रतलाम को ६,००० रु० सालाना देगा और रतलाम राज्य किसी भी वस्तु पर बैसाख में गेहूँ, जौ, चना, मटर, अल्सी-सरसों ज्वार, तिल, उर्द, मूग, धान, कोदों आदि व जो सैलाना से रतलाम जायगी या आवेगी कर न आदि की उपज होती है। लगभग ४० बीघे में ऊख लगायेगा । १८८७ में महारानी के जयन्ती के अवसर की भी खेती होती है। पर सिवा अफीम कर के सभी माफ कर दिये गये। राज्य की जनसंख्या ३५,२२३ है और सालाना जसवन्तसिंह ( १८६५)- आय २,६१,००० रु० है। १३ अक्टूबर सन् १८६५ को दूलेसिंह की मृत्यु वर्तमान नरेश हिज हाईनेस सर राजा दिलीपसिंह हो गई। उसके पश्चात् जसवन्तसिंह गद्दी पर बैठे। के० सी० आई० ई० ( राठौर राजपूत ) हैं । आप ने डेली कालेज इन्दौर में शिक्षा पाई । गही के आपको ११ तोपों की सलामी लगती है और समय राज्य पर क़र्ज़ बहुत था । राजा जसवन्तसिंह आप चैम्बर आफ प्रिन्सेज़ के मेम्बर हैं ।
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