पुस्तकालय गुरुकुल कांगड़ी चरखारी राज्य विद्यालय सीमा-- - स्थिति और विस्तार-- जनसंख्या- चरखारी राज्य बुन्देलखण्ड एजन्सी में है। सनद वाले इस राज्य की जनसंख्या १,२०,३५१ है। मुख्य नगर राज्यों में से यह भी है । यद्यपि यह राज्य बहुत टूटा-फूटा चरखारी की जनसंख्या लगभग १२ हजार के है। २० है तो भी इसके अधिकांश टुकड़े २४.४०' २५५४ उत्तरी गाँवों की जनसंख्या २,००० और १,००० के बीच की है। अक्षाशों तथा ७६२५ और ८० ३०' पूर्वी देशान्तरों के ४७ गावों की जनसंख्या ५०० और १,००० के बीच की है बीच स्थित हैं। और शेष ४३७ गाँवों की जनसंख्या ५०० के नीचे है। इनमें ६५ प्रतिशत हिन्दू, ४ प्रतिशत मुसलमान और बाकी यह राज्य : अलग-अलग भागों से मिल कर बना है। जैनी और दूसरे मत वाले हैं। यहाँ के लोगों का मुख्य इसके आठ भाग हमीरपुर जिले में हैं और नवाँ धसान नदी व्यवसाय खेती है। के किनारे पर है । इसके उत्तर-पूर्व में छतरपुर राज्य, दक्षिण राज्य का संक्षिप्त इतिहास- में विजावर राज्य और पश्चिम में धसान नदी है जो इसको इस राज्य का इतिहास १७६८ से आरम्भ होता है। ओरछा राज्य से अलग करती है। १७३२ ई० में पन्ना महाराज क्षत्रसाल ने अपने राज्य को इस राज्य का क्षेत्रफल लगभग ८८० वर्गमील है। विभाजित किया। इन भागों में से ३३ लाख का एक भाग कहा जाता है कि चरखारी या चरखार (लकड़बघा ) से बिगड़ जगतराज को मिला। इस भाग की राजधानी जैतपुर थी। कर बना है। जो चरखारी नगर के पास पहले बहुत पाये १७५८ में जगतराज का देहान्त हो गया। जगतराज ने जाते थे। गुमानसिंह को अपने राज्य का उत्तराधिकारी बनाया था, प्राकृतिक विभाग- किन्तु पहाइसिंह ने इसका विरोध किया और गुमानसिंह यह राज्य सेन्ट्रल इण्डिया के निचले प्रदेश में स्थित और उसके भाई खुमानसिंह को भाग कर चरखारी के है। इसमें बड़े-बड़े समतल मैदान हैं इन मैदानों के बीच-बीच किले में शरण लेनी पड़ी। में दन्दानेदार निचली पहाड़ी चोटियाँ हैं। यहाँ चरखारी १७६१ ई. में पहाड़ सिंह ने उनके साथ संधि कर ली में केवल एक रजीत नाम की पहाड़ी है । इस पहाड़ी पर और गुमान सिंह को अजयगढ़ व बाँदा का जिला दिया। मङ्गलगढ़ का किला बना हुआ है। यह किला नीचे की झील खुमान सिंह को चरखारी राज्य मिला जहाँ की मालगुजारी से उस समय लाख थी। ३०० फीट ऊँचा है। खुमान सिंह ( १७६१-८२)- नदी और झीलें- इस प्रकार चरखारी राज्य के प्रथम राजा खुमानसिंह धसान, केन और उर्मल ये तीन नदियाँ इस राज्य में कहे जा सकते हैं। क्योंकि इसी समय से इस राज्य के ठीक बहती है; किन्तु इन नदियों से सिंचाई का काम नहीं लिया ठीक इतिहास का पता चलता है। महाराज खुमानसिंह के जाता । छोटी-मोटी झीलें और ताल यहाँ बहुत हैं; किन्तु समय में करामतखाँ और हिम्मतबहादुर गोसाई ने बुन्देल- रतनसागर, जैसागर और विजयसागर ( चरखारी ) के खण्ड पर आक्रमण किया। इनके साथ एक बड़ी सेना थी। सिवा और किसी में भी साल भर बराबर पानी नहीं चरखारी, पन्ना और दूसरे बुन्देला सरदारों ने संयुक्त होकर रहता। आक्रमणकारियों का मोर्चा लिया। बाँदा से १२ मील की दूरी पर मुगस स्थान पर घमासान लदाई हुई । बुन्देलों ने यहाँ की जलवायु गर्म है वर्षा ४४ इंच सालाना है। अपने बैरियों के दाँत खट्टे कर दिये । करामत खाँ युद्ध में १५ जलवायु और वर्षा-
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