१०२ मन्त्री हुए। भूगोल [वर्ष १६ मृत्यु होगई। उसके केवल एक पुत्र विश्वनाथ सिंह १८८४ में राजनगर के महल की तलाशी हुई चौदह महीने का था। और भूमि खोदने पर वहाँ ५,४८,२२५ रु० प्रतापसिंह विश्वनाथ सिंह ( ११६७ )- के समय के मिले, साथ ही ४० मोहरें भी मिली। १८८४ में बालक राजा का ब्याह महाराज १६ अगस्त सन् १८६६ ई० को विश्वनाथ सिंह ओरछा की पुत्री से हुआ। १८८७ में राजा के हाथ पैदा हुए। विश्वनाथ की राजगद्दी के समय दीवान राजकाज सौंप दिया गया। इस समय एफ़. ए. टिटानिया साहब गोरे मन्त्री थे। इनके पिता विल्सन ने एक दर्बार भी किया। चरखारी राज्य के मन्त्री थे। पिता के मरने पर इसी बीच पाँच साल तक डकैती का बड़ा जोर टिटानिया साहब ने स्तीफा दे दिया और पिता के रहा। १८६४ में राजा को खास खास अधि- स्थान पर चले गए। परमेश्वरीदास टिटानिया के कार अंग्रेज सरकार ने फौजदारी मामलों में दिये। बाद बन्त्री बने। इनके बाद धनपतराय चौबे १८६६-६७ में घोर अकाल पड़ा। राजा ने प्रजा की जीवन-रक्षा के लिये बड़े-बड़े उपाय किये । नहर चौबे जी के समय में कई सुधार हुए। तालाब, सड़कें बनवाई गई। १८७४ ई० में अंग्रेज़ सरकार ने नौगांव कन्टोन्मेण्ट १८८७ में राजा को “महाराजा" की पदवी ले लिया और पोलिटिकल एजेण्ट और राजकुमार के मिली। राजा के नाम ११ तोपों की सलामी दगाई रहने को स्थान बनवाया। १२ मई सन् १८७६ जाती है। राजा दीवान की सहायता से सारा राज- को चौबे जी की मृत्यु हो गई । १८७७ में रानी काज देखता है। और विश्वनाथ सिंह दोनों दिल्ली असेम्बुल्ज़ छतरपुर, राजनगर, लारी, देवरा राज इन चार परगनों में विभाजित है। प्रत्येक परगना एक तह- इस समय राज्य की आर्थिक दशा बड़ी बुरी सीलदार के हाथ में है। थी, नौकरों की नौकरी पड़ी थी । दैनिक आवश्य राजा की सहायता के लिये २२ सवार १७ पैदल कताओं के पूरा करने में बड़ी कठिनाई उठानी २७ तोपें और २६ तोप चलाने वाले सिपाही हैं। पड़ती थी। इसलिये अंग्रेज़ सरकार ने मुन्शी चन्डी राज्य में १०० पुलीस सिपाही और २८५ चौकी- प्रसाद कोसुपरिन्टेन्डेण्ट बनाया । मुन्शी चन्डीप्रसाद दार हैं। ने बड़ी चतुरता से कार्य किया। बहुत से सुधार राज्य की सालाना आय ६,३२,००० रु० है । वर्त- किए। पाठशालाएँ व औषधालय खोले गए। इतनी मान नरेश हिज हाईनेस महाराजा भवानीसिंह चतुरता से कार्य हुआ कि १८८३ तक ७ लाख की बहादुर (पँवार राजपूत ) हैं। आप चैम्बर ऑफ प्रिन्सेज के मेम्बर हैं। में गए। बचत हुई।
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