पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/८५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भाषा का प्रश्न का तरजमा फारसी भाखा वो अछर वो हीनदोसतानी भाखा वो नागरी अछर में देहि वो उस सनद वो तरजमा के ऊपर फौज-. दारी का मोहर वो अपना दसखत करहि ।'-अँगरेजी सन १८०३. साल ३५ श्राइन.२२ दफा । अब इस हीनदोसतानी भाखा वो नागरी अछर' को अच्छी तरह समझने के लिये आवश्यक है कि कुछ कंपनी सरकार के अन्य विधानों पर भी ध्यान दिया जाय। अस्तु, एक दूसरा विधान है- "जो सीटामय सभ के अदालत के कागज के उपर कीआ जाऐगा उसके उपर नीचे का मजमुन फारसी वो बंगला भाखे वो.अछर वो हीनदी जूवान वो नागरी अछर में खोदा जाऐगा।" -अँगरेजी सन १८०३ साल ४३ श्राइन १५ दफा २ तफसील । 'हीनदी जूवान' का मतलब कहीं आप उर्दू न समझ लें, इसी लिये आपके सामने एक दूसरा विधान भी आता है और साफ साफ बतलाता है कि उसका अर्थ 'नागरी' है। तनिक- सुनिए तो सही- "किसी को ईस बात का उजर नहीं होऐ के ऊपर के दफे का लीखा हुकुम सभसे वाकीफ नहीं है हरी ऐक जिले के कलीकटर साहेब को लाजीम है के ईस आईन के पावने पर ऐक ऐक केता इसतहारनामा. निचेके सरहसे फारसी वो नागरी भाखा वो अछर में लिखाऐ के अपने मोहर वो दसखत से अपने जिला के मालीकान जमीन वो ईजारेदार जो हजुर में मालगुजारी फरता उन सभोके कचहरी में वो अमानि महालके देसि तहसीलदार साँचा:वार्ता शीर्षक