पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/६०

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राष्ट्रभाषा का निर्णय स्तानी' कहा है, कुछ हिंदोस्तानी या हिंदी नहीं। कहीं कहीं तो केवल हिंदी को ही रहने दिया है, उसे 'हिंदोस्तानी' नहीं बनाया है। सर जार्ज ग्रियर्सन ने हिंदी को इतना महत्व दिया है कि भाषाओं के वर्गीकरण में उसी को मूल स्थान दिया है। उनका वर्गीकरण इस प्रकार है :- पश्चिमी हिंदी पूर्वी हिंदी 1 (१) हिंदोस्तानी (२)बाँगरू (३) ब्रजभाषा (४) कन्नौजी (५) वुदेली (१) हिंदी (२) उर्दू (३) रेखता. (४) दक्खिनी आदि । (१) अवधी (२) बधेली (३) छत्तीसगढ़ी आदि हम यहाँ स्पष्ट कह देना चाहते हैं कि सर जार्ज ग्रियर्सन अँगरेज और कचहरी के आदमी हैं। अँगरेज होने के नाते उन्हें 'पासंग का लाभ उठा 'हिंदोस्तानी' को महत्त्व देना है और कचहरी में शासक के रूप में प्रतिष्टित रहने के कारण उर्दू या कुल, पुरानी राज-माया का पक्ष लेना है। यह उसी पक्ष का परिणाम है कि उक्त साहब ने 'हिंदुस्तानी' के ठेठ, शुद्ध और व्यापक रूप को भ्रष्ट समझकर उले 'हिंदोस्तानी' कर दिया है और दावे के साथ लिख दिया है कि फारसी में शुद्ध रूप 'हिंदो- स्तान है, "हिंदुस्तान नहीं, हालांकि फारसी. में भी हिंदुस्तान शुद्ध वा सही है।