पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१३

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200 far, I thinks to भाषा का प्रश्न "विवष्टि श्चतुःषष्टि; वर्णाः शंभुमते मताः । प्राकृते संस्कृते चापि स्वयं प्रोक्ताः स्वयंभुवा ।" पाणिनि के संबंध में प्रवाद है कि उन्होंने संस्कृत की तरह प्राकृत का भी व्याकरण लिखा । केदारभट्ट का स्पष्ट निर्देश है : "पाणिनिर्भगवान् प्राकृतलक्षणमपि व्यक्ति संस्कृतादन्यत् ।" ( हिंदी विश्वकोष, भाग १४, पृ० ६७५ ) 'प्राकृतलक्षण' नामक एक प्राकृत व्याकरण मिला है जिसके प्रणेता चंड नामक एक सज्जन हैं। चंड के व्याकरण के. हम पाणिनि-प्रणीत नहीं कह सकते। पर इसी के आधार पर सहसा यह भी निश्चित नहीं कर सकते कि पाणिनि ने प्राकृत का व्याकरण लिखा ही नहीं। संभव है कि उन्होंने अपने समय की शिष्ट तथा चलित दोनों ही भाषाओं का व्या- करण लिखा हो और उन्हें बाहरी प्रभाव से सुरक्षित रखने १--चंडप्रणीत व्याकरण को हानली ने. वररुचि के 'प्राकृत- प्रकाश' से पुराना माना है, पर काई ठीक समय निश्चित नहीं किया है। उनका कहना है. " It would be, however, going ascribe that grammar to the third century B. C. Probably it was composed at a semnewhat later time. ( Calcutta A. S. 1880 Part:I Introduction P. XXI } २ -ध्यान देने की बात है कि ईसा के लगभंग ४ सौ वर्ष पहले पाणिनि के प्रांत पर पारसीकों का अधिकार हो गया था भार वह एक प्रकार से उनका अड्डा बन रहा था ।