पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/१२३

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भाषा का प्रश्न ११८ गर्भ की उर्दू का जात-कर्म हो गया । अब उसके नामकरण पर थोड़ा सा विचार होना चाहिए। मौलाना सैयद सुलैमान नदवी का निष्कर्ष है- "कुछ लोग हैं जो यह कहते हैं (बदकिस्मती से कुछ नावा- किम लोगों ने इसकी तसदीक़ भी कर दी है ) कि इस जवान का नाम उर्दू इसलिये पड़ा कि यह मुसलमानों के मातह लश्करों में पैदा हुई। क्या यह लोग मुझे कोई तारीख की किताब, कोई रोजनामचा या तजकिरा छठी सदी हिजरी से लेकर तेरहवीं सदी हिजरी तक का दिखा देंगे जिसमें यह जवान उर्दू के नाम से लिखी गई हो ? ...हक़ीकत यह है कि उर्दू का नाम तेरहवीं सदी हिजरी में एकाएक आ गया।" किस प्रकार एकाएक आ गया, इसके पहले कहीं मौखिक रूप में ही सही, प्रयोग में था अथवा नहीं, आदि प्रश्न भी विचारणीय हैं। डाक्टर बेली२ ने इधर कुछ ध्यान दिया है और यह अनुमान किया है कि संभव है कि उर्दू शब्द मौलिक रूप में प्रयुक्त होता रहा हो। परंतु यह उनका शुद्ध भ्रम है। इस भ्रम का प्रधान कारण है उर्दू को लश्करी भाषा समझ लेना। यदि सच पूछिए तो 'उर्दू' का नामकरण न तो उर्दू ( लश्कर ) के कारण हुआ है और न अरबी-फारसी और भाषा. १--हिंदुस्तानी, ( वही.) जनवरी . सन् १६३६ ई०, पृ० १७ सच्चिदानंद सिनहा के व्याख्यान में फिक्र बालिग से अवतरित । P-J. RDA. S. 1930 p. 395-6