पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/१९१

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१६६ भापा-विज्ञान तब एक को थोड़ा परिवर्तित करने की अथवा लुप्त करने की प्रवृत्ति देखी जाती हैं; जैसे-कमान को लोग कंगन और नूपुर (नुउर) को नेउर कहते हैं। पहले उदाहरण में पूर्व-वर्ण के अनु- सार दूसरे में विकार हुआ है और दूसरे में पर- वर्ण के अनुसार पूर्ववर्ण में विकार हुआ है । दूसरे ढंग के उदाहरण प्राकृतों में अनेक मिलते हैं; जैसे--मुकुट>मउड, गुरुक >गरुम, पुरुष >पुरिस; लांगल से नांगल (म. नांगर) इत्यादि। पिपीलिक से पिपिल्लिका । ग्रासमान का नियम इस प्रकार के विकारों का अच्छा निदर्शन है। (6) असावर्ण्य कुछ ऐसे ध्वनि-विकार भी हुआ करते है जो विकास के इन साधारण नियमों के विपरीत एकाएक हो जाते हैं। प्रायः विदेशी और अपरिचित शब्द जव व्यवहार में आते हैं तब (८) भ्रामक व्युत्पत्ति साधारण जनता उनका अपने मन का अर्थ समझ लेती है, और तदनुकूल उचारण भी करती है। अर्थ समझकर उचारण करने में अवयों को सीधा प्रयत्न करना पड़ता है; वह मुखकर होता है। गुजराती में व्हेल शः बैलगाड़ी के लिये आता है। रेलवे का उली हेल से संबंध जोड़कर गुजराती लोग बेलवेल ( railway , कहने लगे। इसी प्रकार Articthoke का बंगला हाथीचाख हो गया। हाथीचोख का अर्थ होता है हाथी की आँख । अँगरेजी में advance को साधारण नौकर अठवांस कहा करते है क्योंकि यह 'पाठयां ग्रंश' के समान समझा जाता है। इंतकाल का शंकका न, 'पार्ट कालेज का पाठ कालज, Library का गयबरेली Hackenzic का मक्खनजी, Lucllor का ल Marccrmott का दामोद, title को टाटिल (वाट में बना पृष्ठ) इसी मनचाही नुमति के कारण बन जाता है। अँगरेजी में भी Sweeterd में Sarcet-licart, 'llic tacchanals The Bay of Nails, amragus aspatreyw-gr:SS 'यादि इमी प्रकार बन जाने हैं।